देखने और चलने लायक नहीं मादा हाथी, वन विभाग परेशान

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रामपुर/कोरबा।(संवाददाता : अभिषेक शावल) वन विभाग का अमला मादा हाथी की निगरानी में लगातार जुटा हुआ है। वह अच्छे से चल-फिर नहीं पा रही है। साथ ही ढंग से खाना भी नहीं खा रही है। इस हाथी को अमले द्वारा दाना-पानी देने के साथ ही समय-समय पर दवा भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

धरमजयगढ़ वनमंडल से एक उम्रदराज मादा हाथी शुक्रवार की रात विचरण करते हुए कोरबा के कुदमुरा रेंज अंतर्गत गुरमा परिसर के कक्ष क्रमांक 1104 में पहुंच गई है। यहां पहुंचते ही वह ढंग से नहीं चल पा रही थी तथा खाना खाने में भी उसे दिक्कतें हो रही थी। इसकी जानकारी मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और वस्तुस्थिति को जानने के साथ ही इसकी सूचना प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी सहित अन्य अधिकारियों को दी गई जिस पर अधिकारियों के निर्देश पर जंगल सफारी रायपुर से विशेषज्ञ डॉ. राकेश वर्मा व गोमर्डा अभ्यारण्य से डॉ. जयेंद्र खुंटे बुधवार को कोरबा पहुंचे और मौके पर जाकर मादा हाथी का परीक्षण किया। इस दौरान हाथी के उम्रदराज होना पाया गया, उसके दांत भी पूरी तरह घिस गए हैं तथा पेड़ों का डंगाल तोडक़र उसे नहीं खा पा रही थी। दृष्टि कमजोर होने के कारण अच्छे से चलने-फिरने में भी परेशानी थी। हाथी के स्वास्थ्य में सुधार हो सके इसके लिए डॉक्टरों की टीम ने उसे गुड़ में दवाईयां मिलाकर दी। साथ ही पका हुआ कटहल भी खिलाया। इस दौरान उप वनमंडलाधिकारी आशीष खेलवार, रेंजर कुदमुरा संजय लकड़ा सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहे। विशेषज्ञों ने बताया कि मादा हाथी का इससे पहले भी 4 माह पूर्व उपचार किया जा चुका है, जब धरमजयगढ़ क्षेत्र में विचरण करने के दौरान उसके जांघ में घाव हो गया था। इस बीच मादा हाथी के निगरानी के लिए वन विभाग द्वारा टीम गठित कर दी गई है जिसमें हाथी मित्र दल के सदस्यों के अलावा वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हैं। जो अलग-अलग शिफ्टों में मौके पर मौजूद रहकर लगातार हाथी की निगरानी कर रहे हैं और पल-पल की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को उपलब्ध करा रहे हैं। सूचनाओं के मुताबिक मादा हाथी अभी मांड नदी के किनारे हल्का-फुल्का विचरण कर रही है। उसके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हाथियों के दल का नेतृत्व मादा हाथी ही करती है तथा झुंड से वह तभी अलग होती है जब उसकी मौत हो जाती है लेकिन इस मादा हाथी के झुंड से अलग होना यह बताता है कि यह दल की पहली नहीं बल्कि दूसरी या तीसरी मादा हाथी होगी, जो झुंड से अलग हो गई है और कोरबा वन मंडल के कुदमुरा रेंज के गुरमा क्षेत्र में पहुंच गई है।

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