दुर्ग /जामुल/(संवाददाता : अभिषेक शावल) बिजली कटौती से परेशान हैं किसान, बोले- स्थिति नहीं सुधरी तो धान की फसल उखाड़ने को होंगे मजबूर मुख्यमंत्री जीतना किसानों के नाम पर विज्ञापन में करते है खर्च उसका आधा भी बिजली सप्लाई में खर्च कर दे तो सुधर जाएगी किसानो की स्थिति: ईश्वर उपाध्याय किसानों को पर्याप्त बिजली देने की मांग को लेकर जोगी कांग्रेस नेता व पेशे से किसान ईश्वर उपाध्याय दुर्ग कलेक्टोरेट पहुच प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे को ज्ञापन सौपा औऱ किसानों को सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी के लिए प्रचुर मात्रा में बिजली नही मिलने से हो रही दिक़्क़तों से भी अवगत कराया ,साथ ही लाइट गोल के विषय मे बिजली विभाग के अधकारियों से बातचीत पर उनके द्वारा किसानों से अभद्रतापूर्ण व्यवहार पर भी नाराजगी जाहिर की,
ज्ञात हो कि धान की खेती में काफी पानी की जरूरत होती है. बिना पानी के नर्सरी भी नहीं डाल सकते. रोपाई के बाद 6 से 8 हफ्तों तक खेत में हमेशा तीन इंच तक पानी की जरूरत होती है. अब बिजली सप्लाई बाधित होने से और बढ़े हुए डीजल के दाम के कारण किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है.
बिजली कटौती से परेशान हैं किसान, बोले- स्थिति नहीं सुधरी तो धान की फसल उखाड़ने को होंगे मजबूर ज्यादा पानी की खपत वाली फसल है धान चर्चा के दौरान ईश्वर उपाध्याय ने कहा कि रिंगनी, मोहंदी एवं दुर्ग जिला सहित अहिवारा विधानसभा क्षेत्र के अन्य गाँवों के समस्त किसान जिनका विधुत प्रवाह ढाबा ग्रीड जो कि भिलाई-3 डिस्ट्रीब्यूशन स्टेशन के अंतर्गत आता है, से आया है। रोजाना सुबह 5 बजे से शाम के 5 बजे तक बिजली चली जाती है और कई- कई दिन ऐसा भी होता है जब पूरे दिन बिजली नहीं आती वैसे भी प्रति दिन शामा 5 बजे से रात 11 बजे तक शासन के निर्देशानुसार रोजाना बिजली कटौती कीया जाता है।
खरीफ फसलों की बुआई का यह प्रमुख समय है, वर्षा कम होने के कारण प्राकृतिक रूप से खेतों में कृषि योग्य जल एकत्रित नहीं हो पाया है, जिसकी आपूर्ति के लिए समस्त किसान केवल पम्पों द्वारा जल आपूर्ति पर ही निर्भर है।
जैसे तैसे बीज बुआई के पश्चात अब जब पौधे रोपाई के लिए तैयार हो गया है लगातार असामयिक बिजली कटौती के कारण किसान अपने खेतों में पर्याप्त जल आपूर्ति नहीं कर पा रहे जिसके कारण मजदूर खेतों से वापस जा रहे है। जिससे किसानों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है और किसान मायूस हो रहें है, उदास- हताष हो रहें है।
अतः महोदय जी से निवेदन किया कि किसानों की समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए शीघ्र अतिशीघ्र समस्या का निराकरण करें ,साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भुपेश बघेल मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, रविंद्र चौबे कृषि मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, गुरु रूद्रकुमार विधायक अहिवारा विधानसभा ,मुख्य अभियंता डिस्ट्रिब्यूशन स्टेशन भिलाई-3 को नाम ज्ञापन सौंपा।
इस सीजन की प्रमुख फसल धान की खेती में लगे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले के किसान इस समय बेहद परेशान है. लगातार हो रही बिजली कटौती के कारण धान की फसल को सही-सलामत रखने में किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि भरपूर बिजली देने का वादा किया गया था, लेकिन सिर्फ 4 से 5 घंटे के लिए बिजली की आपूर्ति हो रही है।
धान की खेती में बहुत ज्यादा पानी की जरूरत होती है. रोपाई के बाद भी खेत में 3 इंच पानी चाहिए होता है. बारिश तो हो रही है पर खेत अभी भी खाली है सूखे है. खेत में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए किसान जनरेटर से ट्यूबवेल चलाने में मजबूर हैं. डीजल की कीमतों में भी आसमान छूती बढ़ोतरी के कारण इसमें काफी खर्च आ रहा है. बिजली की समस्या से परेशान किसानों का कहना है कि अगर आपूर्ति की स्थिति ठीक नहीं हुए तो हम धान की फसल को उखाड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
जनरेटर से ट्यूबवेल चलाना पड़ रहा है।
किसान पिछले कई वर्षों से खेती कर रहे हैं. वे कहते हैं कि पहली बार ऐसा हो रहा है जब प्रतिदिन चार से पांच घंटे जनरेटर के जरिए ट्यूबवेल चलाना पड़ रहा है. किसानों ने बड़े पैमानें पर खेतों में धान की फसल लगाई है. इसमें से कइयों किसान खेत रेगहा पर लिए हुए हैं. पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार के विधानसभा क्षेत्र के सुड्डुंग रिंगनी ढाबा सहित विभिन्न गांव के रहने वाले किसान कहते हैं बमुश्किल सिर्फ 5 घंटे ही बिजली की सप्लाई हो रही है. कई दिन तो ऐसा हो रहा है कि खराबी के कारण पूरे दिन बिजली नहीं मिल रही है.
वे कहते हैं कि रात 11बजे से लेकर शाम 5 बजे तक बिजली की सप्लाई हो रही है. लेकिन धान के खेतों में 2-3 इंच पानी जमा करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है. ऐसे में हमें जनरेटर पर ट्यूबवेल चलाना पड़ रहा है. इस काम में प्रतिदिन 3200 से 3500 रुपए खर्च हो रहे हैं. एक सप्ताह में किसान सिंचाई पर 15000-23000 रुपए खर्च कर चुके हैं.
इस भूपेश सरकार में हर बार हो रहा ऐसा
मुख्यमंत्री सहित चार मंत्रियों के इस वी आई पी जिले दुर्ग के विभिन्न गांव के रहने वाले किसान ने कई एकड़ में धान की फसल लगाई है. फसल को सूखने से बचाने के लिए रोज 3200 से 3500 रुपए सिंचाई पर खर्च कर रहे हैं. वे कहते हैं कि जब से भूपेश सरकार सत्ता में है ऐसा बार बार हो रहा है जब जनरेटर से ट्यूबवेल चलाना पड़ रहा है. फसल लगाकर हम फंस गए हैं. अगर पानी नहीं चलाएंगे तो भारी नुकसान होगा और जनरेटर चलाने पर लागत बढ़ते जा रहा है.
पहले बिजली की सप्लाई में इतनी दिक्कत नहीं थी. इस वजह से किसानों ने जनरेटर नहीं खरीदे थे. अब उन्हें जनरेटर भी खरीदना पड़ रहा है और इसकी कीमत लगभग एक लाख रुपए तक है जबकि फीडर पंप 30 से 35 हजार रुपए में मिल जाता है. इसके अलावा डीजल का खर्चा है. ज्यादातर किसानों के पास इतनी पूंजी नहीं है. ऐसे में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
धान की खेती में शुरुआत से लेकर कुछ समय बाद तक पानी की जरूरत होती है. बिना पानी के नर्सरी भी नहीं डाल सकते. पौध तैयार होने पर रोपाई के वक्त खेत में पर्याप्त पानी होना चाहिए. इसके बाद 6 से 8 हफ्तों तक खेत में हमेशा तीन इंच तक पानी की जरूरत होती है. अब बिजली सप्लाई बाधित होने से और बढ़े हुए डीजल के दाम के कारण किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है.
दिन भर खेत मे मेहनत करने वाला किसान रात के समय अगर पानी डालने जाएगा तो आराम कब करेगा,और आराम करेगा तो खेत मे पानी कैसे पहुचायेगा, मजबूरी में किसान अगर आराम नही करेगा तो बीमार पड़ेगा हर स्थिति में किसान को तकलीफ ही झेलना है किसानों के नाम पर बड़ी बड़ी बात करने वाली इस सरकार में कभी किसान खाद के लिए जूझता है तो कभी बारदाने के लिए और तो और अब बिजली के लिये भी मारामारी एक ओर सरकार किसान हितैषि बनती है तो दूसरी ओर उनके इस कृत्य से उनकी मंशा स्पष्ट हो रही है, सरकार किसी भी तरह से किसानों के फसल की पैदा वॉर को कम करने का भरसक प्रयाश कर रही है ये दुर्भाग्य पुर्ण है।
किसानों की समस्या को लेकर संभाग अध्यक्ष ईश्वर उपाध्याय के साथ क्षेत्र के किसान सीताराम वर्मा, डामन लाल वर्मा, कुंजलाल वर्मा, गौतरिहा देशलहरे, अनिल मिर्झा, युवराज वैष्णव, विनय साहू, अभिषेक शर्मा, संजय गुरूपंच, उमेश निर्मलकर, गौरव यादव, विकास मिश्रा, करन साहू, वासु वर्मा, दीपक साहू, अमन नारंग, राहुल निर्मलकर और भी अन्य लोग उपस्थित रहे।