भूली | झारखंड मोड़ स्थित देवी मंदिर के समीप शिव भक्तों की कठिन साधना देखने को मिला। कहते हैं भोक्ता पर्व में भगवान शिव के प्रति अगाध श्रद्धा व भक्ति के समायोजन सहित झारखंडी संस्कृति का समावेश है। यह लोकपर्व झारखंड के ग्रामीण इलाकों में उत्साह पर्वक मनाने के अलावा निकटवर्ती राज्य पश्चिम बंगाल व उड़ीसा में भी उल्लासपूर्ण वातावरण में मनाया जाता है। भगवान शिव की आराधना और शिव को प्रसन्न करने के विभिन्न तरीकों में सबसे कष्ट कारक भोक्ताओ द्वारा अपने इष्ट देव शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना के साथ अपने शरीर मे कील चुभो कर चडक पर्व मनाते हैं। भुली के आसपास के सात गांवों के भोक्ताओ ने (भोक्ता पर्व) चडक पूजा के अवसर पर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की। शिव को प्रसन करने के लिए एक धथुरा, भांग बेलपत्र का चढ़ावा से भी शिव प्रसन्न होते हैं। मगर चडक पूजा में भोक्ताओ द्वारा अपने शरीर मे कील चुभो कर 40 फिट ऊंचे खंभे से झूलते हैं। कोई अपने पीठ में कील चुभोता है तो कोई आगे छाती में
तो कोई भोक्ता शिव को प्रसन्न करने में अपने जीभ में त्रिशूल नुमा कील चुभो लेता है। मंदिर में 70 शिव भक्तों ने अपने शरीर के विभिन्न अंगों में लोहे की कीलें चुभोकर 40 फिट ऊंचे वनझुला के सहारे मंदिर की ऊपर से परिक्रमा की। शिव भक्त ने कहा कि भगवान की कृपा से शरीर पर लगे लोहे की कील से शरीर मे दर्द नहीं होता है। पुजारी भगवंत तिवारी ने कहा कि भगवान शिव के परम भक्त हैं भोक्ता जो अपने शरीर मे कील चुभो कर 40 फिट ऊंचे खंभे पर झूल कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। काली मंदिर परिसर में सात गांवों के भोक्ता पूजा अर्चना करते हैं। सात गांवों के मुखिया गोपाल महतो ने कहा कि चडक पूजा परिवार के सुख समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। चडक पूजा से घर परिवार में सुख समृद्धि व वैभव आता है। मौके पर प्रेम रवानी,गोपाल महतो, निमाई महतो,किशोर महतो,महेंद्र महतो,दिपक महतो, मंगल महतो,बिकाश महतो, आकाश महतो आदि सक्रिय रहे।