सरायकेला / गुरुकुल के निदेशक गजेंद्र नाथ चौहान ने राज्य सरकार के नई नियोजन नीति के कारण लाखों युवाओं के रोजगार पर आने वाली समस्याओं को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि राज्य एक लेकिन नीति दो क्यों?यहां के अनारक्षित छात्र छात्राओं के साथ साथ भेदभाव क्यों ? यहां हर समुदाय के लोग रहते है उनके बच्चों की जिदंगी से खिलवाड़ क्यों ? आखिर कब तक यहां के छात्र-छात्राएं राजनीति के शिकार होते रहेंगे ? उन्होंने कहा है कि झारखंड राज्य के बहुत सारे लोग रोजगार की तलाश में अन्य राज्य चले जाते हैं , उनके साथ साथ बच्चे भी अपने परिवार के साथ पलायन करके अन्य राज्य से पढ़ाई करते हैं l लेकिन आज जिस तरह से सरकार की नियमावली आ रही है इससे उन्होंने अपने राज्य में नौकरी पाने का हक़ खो दिया है। कुछ केंद्रीय कर्मचारी या प्राइवेट कर्मचारी, पदाधिकारी हैं जो अन्य राज्य में नौकरी कर रहे हैं एवं उनके बच्चों ने अन्य राज्य से मैट्रिक इंटर किया है तो क्या इन्हें अपने राज्य में थर्ड-फोर्थ ग्रेड की नौकरियों से वंचित किया जाना उचित है। स्थानीय छात्रों के कैसे लाभ मिले, नियोजन नीति या स्थानीय छात्रों को किस आधार प्राथमिकता दी जाए, यह कार्य सरकार का जरूर है लेक़िन सरकार कुछ ऐसा नियमावली बना रही है जिससे यहां के बच्चे अपने राज्य में नौकरी से वंचित हो जाएंगे । जिसके कारण प्रदेश के लाखों युवा अपने ही राज्य में रोजगार से वंचित रह जाएंगे ।
नई नीति और नियमावली बनाने से पहले उन छात्रों के बारे में विचार किया जाता जो कई साल से अपनी नियुक्ती की प्रतीक्षा कर रहे।लेकिन ये नियमावली लागू करके एक बार फिर छात्रों को गुमराह किया गया है। राज्य सरकार नई नियोजन नीति पर पुनर्विचार करें एवं ऐसी नीति बनाएं जिससे झारखंड के युवाओं का भविष्य बर्बाद ना हो।