धनबाद / एक माँ के लिए उसकी संतान सबसे प्रिय होती है,अगर बच्चे को जरा सी भी चोंट लगती है तो दर्द माँ को होती है । ऐसा ही मामला बाघमारा प्रखंड अंतगर्त महुदा क्षेत्र के बारकी बस्ती मे देखने को मिला है । कैंसर पीड़ित पुत्र के इलाज के लिए माँ ने लगाई गुहार, नहीं करा पा रहीं है समुचित इलाज , आर्थिक रूप से कमजोर का सहारा किसी प्रकार की नहीं।
जी आपको बता दें 35 वर्षीय गुलाम सरबर नामक व्यक्ति जो महुदा क्षेत्र के बागड़ा पंचायत के बारकी बस्ती निवासी है जो मुँह के कैंसर से करीब 6 माह से पीड़ित है, तमाम सरकारी अस्पतालो इलाज करा चुके है । हाल ही में मुम्बई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल मे चल रही थी इलाज, और वहाँ लगभग 1 लाख रुपय तक का खर्च हो चुकी है । अब इलाज हेतु पैसा भी खत्म हो चुकी है,पैसे के अभाव के चलते इलाज बंद पड़े है, परिजनों का कहना है कि आगे भी इलाज का खर्च लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये बताई गयी है, जबकि परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। गरीबी के चलते उपचार कराने में सक्षम नही है। कैंसर पीडित खुद ही मनरेगा मे मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करता था । लेकिन अब उनके घर रोजगार करने वाला कोई नहीं बचा है।उनका कहना है कि मैनें गांव- गांव जाकर इलाज हेतु सहायता मांगी। 100 अथवा 50 रुपये देकर बहुतो ने मदद की, परंतु इतने गंभीर बीमारी के लिए ये रुपये पर्याप्त नहीं था। आगे उन्होंने कहा कि इसके लिए स्थानीय सांसद तथा स्थानीय विद्यायक से गुहार लगा चूंकि है परंतु किसी जनप्रतिनिधि ने कोई मदद नहीं की । गांव के स्थानीय लोगो का कहना है कि समाजिक, राजनीतिक संगठनों तथा आम लोगों से गुहार लगा चूंकि है,परंतु अभी तक कोई आत्म मदद नहीं मिली हैं।कोरोना वायरस की इस महामारी में दो वक्त की रोज-रोटी कमाने वालों पर यह कहर बरपा रही है। कैंसर के इलाज में तंगहाल हो चुका इस परिवार को आज दो वक्त की रोटी के लिए सोचने पर मजबूर है।