सिंदरी/ (संवाददाता : सिद्धार्थ पाण्डेय) झारखंड अभिभावक संघ के धनबाद जिलाध्यक्ष कैप्टन सहाय ने कहा कि वर्तमान में राज्य का हर तबका वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।
आर्थिक अस्थिरता के दौर में अभिभावकों के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं, निजी स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क के अलावा हर प्रकार के फीस जमा करने के फरमान से अभिभावक परेशान हैं। निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी पर उतर आए हैं। ये न तो राज्य सरकार के आदेश को मान रहे हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को। निजी स्कूल संचालक बिना फीस लिए न तो रिजल्ट दे रहे हैं और न ही छात्रों को ऑनलाइन क्लास की अनुमति दी जा रही है। नए शैक्षणिक सत्र में फीस बढ़ोतरी कर दी गई है। एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्यूरिटी चार्ज, सीसीटीवी चार्ज, स्कूल चार्ज, एसएमएस चार्ज, मेडिकल चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज आदि के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूली जा रही है। इस संबंध में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण का आदेश भी बेअसर है। निजी स्कूल प्रबंधन सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप अभिभावकों को कोई राहत नहीं दे रहे हैं।
कैप्टन सहाय ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान फीस वृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी। सरकार ने केवल मासिक शुल्क लेने की बात कही थी। बावजूद इसके स्कूल सभी तरह के मदों में पैसा ले रहे हैं।