भाजपा के 24 विधायक और 2 सांसद छोड़ सकते हैं पार्टी

0 Comments

चेतावनी के बावजूद दो दर्जन एमएलए नहीं पहुंचे शुभेंदु की मीटिंग में

चुनाव के बाद कई खेमों में बंट गई बंगाल भाजपा

कोलकाता/ दल बदल से आए लोगों को तरजीह देकर क्षणिक लाभ हो सकता है लेकिन वह टिकाऊ नहीं होता है। चुनाव के पहले जो हाल टीएमसी का हुआ था वही हाल अब भाजपा का हो रहा है। चुनाव के पहले एंटी इनकंबेंसी के कारण तथा केंद्र सरकार के प्रचार-प्रसार, विकल्प के रूप में उभार से लग रहा था कि ममता और उनके भतीजे के लिए अब सत्ता बचाना असम्भव है लेकिन ज़रूरत से अधिक कंफिडेन्स और दल बदल के कारण दो चरण के चुनाव के बाद अकेले असहाय कर दी गई ममता के प्रति लोगों सहानुभूति उमड़ पड़ी। अब टीएमसी भी उसी रास्ते से भाजपा को तोड़ रही है। अब जो लोग टीएमसी में जा रहे उन्हें पहले की तरह ए कैटेगरी हासिल नहीं हो रही है। एक तो अभी चुनाव नहीं है। ऊपर से उनके बिना भी टीएमसी हैट्रिक लगाई है सो उन्हें अब वैल्यू भी नहीं मिलना है।
पंचायत चुनाव के समय ममता के लोगों ने जो गुंडागर्दी की थी उससे लोग बहुत नाराज थे। जब वैसे लोगों को भाजपा में तरज़ीह मिलने लगी तो समर्पित भाजपाई भी बिफर गए जो भाजपा को बंगाल में विकल्प बनाने में अहम भूमिका अदा किए थे। पूर्व गवर्नर व पुराने संघी तथागत राय ने चुटकी ली है मुकुल घर लौट गए। अच्छा होता दीदी मुकुल साथी घर की बिल्ली कैलाश विजयवर्गीय को भी स्थान देती।
दरअसल भाजपा में अब एकसाथ कई खेमे बन गए हैं। एक ग्रुप का नेतृत्व दिलीप घोष कर रहे हैं। लोग कहते हैं कि ये ईमानदार हैं लेकिन जुबां फिसल जाती है इनकी।अभी वैशाली डालमिया ने शुभेंदु को ट्वीट की कि गंदे लोगों को पार्टी का बाहर का रास्ता दिखाएं दादा तो दिलीप घोष ने उसकी क्लास ली और कहा कि कब, किसे , कहां बोलना है पहले इसकी जानकारी रखें।
शुभेंदु राज्यपाल से मिलने गए तो 24 विधायक गायब मिले। दिलीप घोष मीटिंग बुलाते हैं तो शुभेंदु खेमे के लोग गायब रहते हैं।मुकुल खेमा तो टीएमसी के साथ हो ही गया है। राजीव बनर्जी, सोनाली गुहा, दिव्येन्दु, अमल आचार्य सभी टीएमसी में वापसी चाहते हैं । मुकुल के बेटे शुभ्रांशु ने भी यही इशारा किया। रूपा गांगुली भी गुस्से में हैं।
लोगों का कहना है कि ममता के विकल्प के रूप में भाजपा को सभी ने देखा तभी वाम का वोट राम को ट्रांसफर हुआ। आज अगर लेफ्ट फिर मज़बूत हो जाए तो भाजपा की स्थिति फिर खराब हो सकती है।संघ से जुड़े लोगों ने गुटबाजी खत्म करने के लिए एक खेमा को दिल्ली की पॉलिटिक्स में ले जाने का सुझाव दिया है।
संघ का कहना है कि ममता के खिलाफ लोग इसलिए भी आए थे क्योंकि भाजपा की राजनीति में लोगों को शुचिता की उम्मीद थी।शुभेंदु आज मुकुल रॉय के मामले में दलबदल कानून की बात कर रहे हैं। विधायक पद से इस्तीफा मांग रहे हैं। हालांकि वे इसी कानून के तहत उनके पिता और भाई अभी भी क्यों टीएमसी सांसद बने हुए हैं इस पर चुप हो जाते हैं। अन्य राज्यों में दलबदल मामलों में भाजपा के रूख पर भी वे चुप्पी साध लेते हैं।शुभेंदु के लिए यह समय परीक्षा की घड़ी है। टूटकर, बिखरकर भी उनकी दीदी ने तो हैट्रिक लगा ली ।अब यह परीक्षा बंगाल की पॉलिटिक्स में शुभेंदु को स्थापित कर देगी या वे फेल हो जाएंगे, यही देखना है।

Categories:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *