डिगवाडीह गुरुद्वारा में शहीदी दिवस पर चल रहे चार दिवसीय पाठ का समापन

जोरापोखर । जोरावर सिंह एवं बाबा फतेह सिंह के शहीदी दिवस पर पिछले चार दिनों से डिगवाडीह गुरुद्वारा में चल रहा पाठ 28 दिसबंर को संपंन्न हो गया। इस दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित किया गया है।

डिगवाडीह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से 22 दिसम्बर से स्त्री संगत की ओर से पाठ किया जा रहा था जिसका समापन शनिवार को हुआ। इस मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष रंजीत सिंह उर्फ टिंकू सिंह ने बताया कि सिख समुदाय के लोग सभी गुरुद्वारा में साहिबजादों के याद में कार्यक्रम करते हैं।
सिख धर्म के इतिहास में ऐसी कई घटनाएं हैं।

जो त्याग और बलिदान की मिसाल पेश करती हैं। ऐसी ही एक घटना सं0 1705 की है जब गुरु गोबिंद सिंह जी के दो मासूम साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह अपनी अडिग आस्था और धर्म के प्रति निष्ठा के लिए शहीद हो गए। उनकी इस शहादत की याद में 26 दिसंबर को बाल वीर दिवस मनाया जाता है। सात दिसंबर 1705 को जब गुरु गोबिंद सिंह जी चामकौर की लड़ाई में व्यस्त थे उसी दिन साहिबजादों और माता गुजरी को सरहिंद के अधिकारियों ने पकड़ लिया। उन्हें सरहिंद ले जाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया। जहां कड़कड़ाती सर्दी ने उनके धैर्य और विश्वास की परीक्षा ली।

नौ दिसंबर को फौजदार नवाब वजीर खान ने साहिबजादों को इस्लाम कबूल के बदले धन और सत्ता का लालच दिया, लेकिन साहिबजादों ने अपने धर्म पर अडिग रहते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था
पाठ के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दो मिनट का मौत और दो मिनट का वाहे गुरु का जाप किया गया। इस मौके पर सैकड़ो सिख समुदाय के लोगो के साथ डिगवाडीह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जसदीप सिंह , बलविन्दर कौर,रजनी कौर, कमलजीत कौर, जागीर कौर ,हरजीत सिंह, हरजिंदर सिंह, आदि उपस्थित थे।

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