भूली। भारतीय संस्कृति मानव व पर्यावरण के बीच संतुलन का आधार है। ऐसी मान्यता है कि सत्यवान की अकाल मृत्यु पर सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे पूजा कर यमराज से अपने पति के प्राण वापस लौटा लाई थी। तभी से वट सावित्री पूजा का चलन है। जिसमे सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति के अक्षय की वरदान मांगती है।
भूली क्षेत्र में भी सुहागिन महिलाओं ने व्रत रख कर वट वृक्ष की पूजा की व सत्यवान व सावित्री की कथा सुनी।
महिलाएं पूजा के दौरान वट वृक्ष को रक्षा सूत्र कंलावा बंधती है। कोरोना संक्रमण काल मे ऑक्सीजन को लेकर उपजी स्थिति और पर्यावरण विदों की चिंता के बीच भारतीय परंपरा में वट वृक्ष की पूजा को अलग नजरिया से देखने की जरूरत है। जिसमे ऑक्सीजन देने वाली बड़े पत्तेदार वृक्ष में वट वृक्ष शामिल है। पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन को लेकर भारतीय संस्कृति पहले से सचेत रही है । मानव जाति को इसे वैज्ञानिक आधार पर भी चिंतन करना होगा जिससे पर्यावरण व संस्कृति का संतुलन बना रहे।