तिसरा। कलयुग में दुर्गा और गणेश को प्रत्यक्ष तथा प्रधान देवता कहा जाता है दुर्गा को आदिशक्ति कहा गया है। आदिशक्ति दुर्गा महाकाली, महालक्ष्मी महासरस्वती के रूप में लोग पूजा करते हो । उक्त बातें अचार्य विद्यासागर पांडे में चांद कुइयां न्यू कॉलोनी मैं चैती दुर्गा पूजा पाठ का अनुष्ठान करते हुए कही। उन्हें बताया कि दुर्गा को अखिल ब्रहमांड की प्रवृत्ति कहा गया। भगवती दुर्गा के तीन विलक्षण स्वरुप है। 1 चतुर्भुजी दुर्गा, 2 , अष्टभुजी दुर्गा, 3 दश भुजी दुर्गा इसके अलावा भगवती दुर्गा के चार अन्य रुप मिलते हैं जिसमें अपराजिता दुर्गा चंडी महामाया मूल प्रकृति रूपा दुर्गा है। विद्यासागर पांडे ने कहा कि जो भी लोग दुर्गा का संपूर्ण पाठ करते हैं उनका मनकामना माता पूरा कर देती है। शक्ति की देवी लोग आस्था के साथ नौ दिन तक पूजा करते हैं नवमी को हवन पूजा से साथ पूजा का समापन किया जाता है कन्या पूजा एव भोजन कराया जाता है। सच्चे मन से पूजा करने वाले का भगवान मनोकामना पूर्ण करती है।