नवरात्रि मानसिक, शारारिक, आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक: संजय सर्राफ
रांची | इस वर्ष चैत्र वासंतिक नवरात्र 9 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। राष्ट्रीय सनातन एकता मंच एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि 9 अप्रैल को उदयातिथि में प्रतिपदा लगने के कारण इसी दिन से नवरात्र प्रारंभ हो जाएगा तथा घरों एवं मंदिरों में कलश की स्थापना कर मां की पूजा शुरू हो जाएगी। इस वर्ष चैती नवरात्रि की दुर्गा नवमी 17 अप्रैल को पड़ रहा है इसी दिन रामनवमी भी मनाई जाएगी। मान्यता है कि चैती नवरात्रि महानवमी तिथि पर देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से हर काम बन जाता है मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए देवता, राक्षस, गंधर्व, ऋषि मुनि भी कठोर तपस्या किया करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि शिव जी ने देवी मां सिद्धि दात्री की कृपा से नौ सिद्धियो को प्राप्त किया था धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि आखिरी दिन माता रानी को लाल रंग की चुनरी चढ़ाने से सारे दुःख परेशानी दूर हो जाते हैं और इसी दिन हवन करने की भी परंपरा है इस दिन हवन करने से नवरात्रि की पूजा सफल हो जाती है। नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन हवन एवं सभी धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। चेती नवरात्रि के साथ प्रभु श्री राम का जन्म और रामराज्य की स्थापना का इतिहास जुड़ा है नवरात्रि मानसिक, शारारिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक होता है चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने का विधान है घट स्थापना से लेकर नवमी तिथि 9 दिनों तक लोग व्रत, पूजा पाठ आदि में लीन रहते हैं। नवरात्रि व्रत का मुख्य उद्देश्य अपनी इंद्रियों पर संयम रखना और आध्यात्मिक शक्ति का संचय करना है चैत्र नवरात्रि की महा नवमी पर व्रत रखने, कन्या पूजन और देवी पूजा करने से पूरे 9 दिनों की उपासना करने के समान फल प्राप्त होता है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि दोनों में ही नवमी तिथि का प्रभु श्री राम से गहरा संबंध मिलता है ऐसी मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर भगवान राम ने रावण का वध किया था और श्रीलंका पर विजय प्राप्ति की थी ऐसे ही चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर राजा दशरथ के घर पुरुष अवतार के रूप में श्री राम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को रामनवमी के रूप में जाना जाता है।