रांची | अकीदे की बुनियाद पर इस्लाम की नींव टिकी है। एक सच्चे मुसलमान के लिए उसके अकीदे का सुदृढ़ होना बहुत आवश्यक है। किसी भी मुसलमान के अकीदे में थोड़ी भी शंका आ जाए तो उसके ईमान और मुसलमान होने पर संदेह उत्पन्न हो जाता है। इस्लामी साहित्य में अल्लाह एक रात को कई फैसले करता है ।यह एक रात कौन सी होती है कोई नहीं बता सकता लेकिन रमजान के आखिरी अशरे की ताक रातों में तलाश करने को कहा गया है। इस रात की बहुत अहमियत है इसलिए इसकी कद्र करनी चाहिए। हदीस है कि इस दिन बंदा जो भी दुआ मांगता है कबूल होती है ।अब ऐसी बेशकीमती रात सिर्फ 23, 25, 27 और 29 वीं शब रह गई है। ज्यादातर उलमाओं ने 27वीं शब को शब ए कद्र यानी लैलतुल कद्र माना है। इसमें पढ़ी जाने वाली सबसे श्रेष्ठ दुआ वो है जो नबी (स) ने आइशा (रजि) को सिखाई थी और इसका मायने है, ए अल्लाह, तू अत्यंत माफी वाला है और माफी को पसंद करता है, अतः तू मुझे माफी प्रदान करपैगंबर मोहम्मद (स) ने फरमाया कि जो मुसलमान किसी गैर मुस्लिम पर अत्याचार करेगा, उसका हक मारेगा या उसकी ताकत से ज्यादा बोझ डालेगा, उसकी कोई चीज जबरजस्ती लेगा, तो मैं खुदा की अदालत में उस मुसलमान के खिलाफ दायर होने वाले मुकदमा में उस गैर मुस्लिम का वकील बनकर खड़ा रहूंगा (अबू दाऊद)कुरान में दी गई कई महत्वपूर्ण सीखों को हमें जरूर जानना चाहिए मसलन अपने पास पड़ोस के साथ प्रेम व मोहब्बत से रहो, मां बाप का सम्मान करो, उनके द्वारा तकलीफ भी पहुंचती है तो आहें ना भरो, इसका इनाम आपको दुनिया में और मरने के बाद दोनों जगह मिलेगा। ध्यान रहे, पड़ोसी भूखा ना सोए वरना मुसलमान होने के तौर पर आपकी हर होगी।किसी बेकसूर का कत्ल ना करें और बिना वजह पानी न बहाएं। हमारे कंधों पर फ़रिश्ते बैठे रहते हैं जो हमारी नेकी और गलतियों को लिखते हैं। कोई तकलीफ भी दे तो आप सब्र करें अल्लाह बेहतर से बेहतर फैसला देगा।मुसलमानों के लिए रमजान का महीना अल्लाह से नजदीकी का एक अवसर होता है । इस महीने जन्नत के दरवाजे खुले होते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। पैगंबर मोहम्मद (स) के अनमोल बोलों में से कुछ है कि वह मोमिन नहीं जो अपने पड़ोसी को तकलीफ देता है, खुद पेट भर खाए और उसका पड़ोसी भूखा रहे, अल्लाह उस पर रहम नहीं करता जो दूसरों पर रहम नहीं करता, मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी दे दो, जुल्म कयामत के दिन जालिम के लिए सख्त अंधेरा बन जाएगा, जो तुझसे रिश्ता तोड़े उससे तुम रिश्ता जोड़ो, शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक मुस्लिम के लिए अनिवार्य है, अपने भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार ना करें, मांगने वाले को कुछ देकर ही वापस किया करो, जिसने एक बार भी अपनी जिंदगी में अपनी मां को हंसा दिया उस पर जन्नत वाजिब हो गई।