याचिका में दवाओं की जमाखोरी और उनके अवैध वितरण में शामिल सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया गया है:दिल्ली हाई कोर्ट
नयी दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने नेताओं के रेमडेसिविर खरीदने और उन्हें बांटने के दावों के लिए केस दर्ज करने और उसकी CBI से जांच कराने की मांग की याचिका को रिकॉर्ड में लाने को कहा. वकील विराग गुप्ता ने इस याचिका का जिक्र जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच के सामने किया. याचिका में सवाल उठाया गया है कि कैसे नेता ड्रग्स और कॉस्मेटिक एक्ट के तहत जरूरी अनुमति नहीं होने के बावजूद बड़ी मात्रा में दवाएं खरीद रहे हैं, जबकि आम जनता को ये नहीं मिल रही हैं.
हृदय फाउन्डेशन के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर के शूटर याचिकाकर्ता दीपक सिंह ने दावा किया है, ‘‘अपने राजनीतिक फायदे के लिए दवाओं तक लोगों की पहुंच नहीं होने देना गंभीर प्रकृति का अपराध है और यह समूचे भारत में कोरोना वायरस के मरीजों को प्रभावित करता है.’’ सिंह ने वकील गौरव पाठक के जरिए दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि नेता बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर जैसी अहम दवाओं की जमाखोरी और उसे बांटने में शामिल हैं.
याचिका के किए गए दावों के मुताबिक, ‘‘राजनीतिक दल जिनमें से ज्यादातर के मुख्यालय दिल्ली में हैं, वे अपनी राजनीतिक ताकत का फायदा उठा रहे हैं और मेडिकल माफिया को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं.’’ मामले में एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच कराने के अतिरिक्त याचिका में कोविड-19 की दवाओं की कालाबाजारी में शामिल लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लेने की गुजारिश की गई है.
साथ ही याचिका में दवाओं की जमाखोरी और उनके अवैध वितरण में शामिल सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया गया है. दिल्ली हाई कोर्ट कोविड-19 से जुड़े ऑक्सीजन सप्लाई और बेड की कमी सहित कई मुद्दों पर लगातार सुनवाई कर रहा है. शुक्रवार को भी ऑक्सीजन क्राइसिस पर विचार कर रही बेंच ने मामले में चार घंटे से अधिक समय तक सुनवाई की.
राज्य नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करने में विफल:६ दिल्ली HC”
हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कोविड-19 से जुड़े मामलों में सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करने में विफल रहा है और ‘‘हम सब विफल रहे हैं.’’ अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब उसे कोविड-19 से एक व्यक्ति की मौत की सूचना दी गई जिसका परिवार पिछले तीन दिन से आईसीयू बेड की मांग कर रहा था.
कोर्ट में कार्यवाही जारी थी और मरीज के रिश्तेदार ने आग्रह किया कि वह अधिकारियों से ICU बेड का प्रबंध करने को कहे क्योंकि मरीज के महत्वपूर्ण अंगों ने काम करना कम कर दिया है और वह एक अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में है. उसने कुछ मिनट के भीतर अदालत को बताया कि उसके बीमार रिश्तेदार की मौत हो गई है. व्यक्ति ने कहा, ‘‘मैं हार गया हूं, मेरे रिश्तेदार की मौत हो गई है, इसलिए और प्रयासों की आवश्यकता नहीं है.’’