अंतर विश्वविद्यालय प्राध्यापक शिक्षा केंद्र वाराणसी द्वारा आयोजित संकाय विकास कार्यक्रम का समापन

शिक्षा मानव निर्माण की प्रक्रिया है : प्रोफेसर सीबी शर्मा

शिक्षा व्यक्ति को उदार एवं विनम्र बनाती है: प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा

शिक्षा असमानता दूर कर लोकतांत्रिक बनाती है: प्रोफेसर प्रेम नारायण सिंह

रांची | अंतर विश्वविद्यालय प्राध्यापक शिक्षा केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में आयोजित संकाय विकास कार्यक्रम जो पिछले 5 दिनों से चलते आ रहे हैं जिसमें भारत के 8 राज्यों से आए हुए विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक गणों ने अपनी सहभागिता दी। जिसमें देश के अलग-अलग संस्थानों से आए हुए विशिष्ट विद्वत जनों ने शिरकत की और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कैसे पूरे देश में लागू किया जाए और इसकी क्या चुनौतियां हो सकती हैं इस पर अलग अलग विद्वानों ने अपनी अलग अलग विषयों से संबंधित विषयों पर अपनी व्याख्यान दिया। संकाय विकास कार्यक्रम में आए हुए सभी अध्यापकों ने विभिन्न विषयों पर अपनी समस्याओं को रखा एवं उस पर चर्चा की गई।विषय की जो चुनौतियां थी उसका निदान निकालने का भी कोशिश की गई। कुल 6 दिनों के इस कार्यक्रम को 28 क्षेत्रों मे विभक्त कर समस्या की चुनौतियां और निदान पर चर्चाएं की गई। प्रथम दिवस में माननीय कुलपति रज्जू भैया विश्वविद्यालय अखिलेश कुमार सिंह, डॉ शिव कुमार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व सचिव रजनीश जैन, ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एक विस्तृत चर्चा की इससे प्राध्यापकों को यह समझने में सुविधा हुई की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वह कौन-कौन सी मुख्य बातें हैं जो हमारे भविष्य की चुनौतियों को सरलता पूर्वक साकार कर सके। वहीं दूसरे दिन मानवीय मूल्यों पर हमारी नई शिक्षा नीति जो नई दिशा लेकर आ रही है। इससे पूरे भारतवर्ष में एक नई क्रांति का दौर शुरूक होगा, और हमें अपनी मूल्यों को बचाने और संवर्धित करने में नई शिक्षा नीति बहुत ही कारगर सिद्ध होगी। इस विषय पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा जी ने विस्तृत चर्चा की वही उन्होंने शिक्षा का सही अर्थ और मूल्य को सनातन धर्म से जोड़कर समझाया। केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के प्रोफेसर गौरव सिंह ने शिक्षा में उपयोग होने वाले तकनीक के बारे में जानकारी दी आज के इस बदलते परिवेश में टेक्नोलॉजी की क्या आवश्यकता है उसे पर वृहद पहचान दिया और उच्च शिक्षा में शिक्षकों को प्रयुक्त होने वाले तकनीक की जानकारी दी। वही रांची के जाने-माने शिक्षाविद एवं कई उच्च संस्थानों में कार्य कर चुके निर्देशक स्कूल ऑफ एजुकेशन इग्नू प्रोफेसर सी बी शर्मा ने विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीयकरण करने को लेकर जोर दिया एवं देश के अन्य विश्वविद्यालयों से आए हुए विद्वानों ने विविध आयामों पर ध्यान आकृष्ट कराया। आज समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के तौर पर आए हुए डॉ कमलेश कुमार द्विवेदी जीने कहा कि काशी धर्म संस्कृति शिक्षा ज्ञान की नगरी रही है और जब यहां कोई आते हैं तो वह अपने सारे विकार छोड़कर शुद्ध मन से लौटते हैं। वही संस्थान के निदेशक डॉ प्रेम नारायण सिंह ने देश के 8 राज्यों से आए हुए प्राध्यापकों को धन्यवाद दिया और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। इसी दरमियान झारखंड से आए हुए प्राध्यापक डॉ दीपक प्रसाद ने कहां की शिक्षा में नाट्य कला को आवश्यक कर दिया जाए जिससे संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण होता है। वही उत्तराखंड से आए हुए प्राध्यापक सौरभ सिंह ने कहा की शिक्षा विद्यार्थियों में समग्र दृष्टिकोण दर्शाती है। वही शांतिनिकेतन से आए हुए प्राध्यापक कल्पतरु मंडल ने कहा की शिक्षा से सरलता आती है। इस 6 दिन के संकाय विकास कार्यक्रम में कुल 39 प्राध्यापकों ने शिरकत की जो देश के अनेक विश्वविद्यालय में जाकर इस शिक्षा नीति कोक समझने में और लागू करने में कड़ी का काम करेगी। वही पौड़ी गढ़वाल से आए हुए डॉक्टर राम कृपाल सिंह ने कहा कि शिक्षा समग्र विकास की जननी है। जौनपुर विश्वविद्यालय जौनपुर से आए हुए डॉ मिथिलेश कुमार पांडे ने कहा की शिक्षा में तकनीक की अहम भूमिका है और आज हम इससे बच नहीं सकते।

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