गम्हरिया। झामुमो की ओर से उदयपुर चौक पर हुल दिवस मनाया गया। इस अवसर पर 20 सूत्री अध्यक्ष सह झामुमो बुद्धिजीवी मंच के जिलाध्यक्ष सी के गोराई की अध्यक्षता मे आयोजित कार्यक्रम में काफी संख्या में कार्यकर्ताओं ने सिद्धू कान्हू की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर गोराई ने कहा कि हूल दिवस पर हमें अन्याय के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकना होगा। कहा कि 30 जून, 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ पहली बार विद्रोह का बिगुल फूंका। इस दिन 4 सौ गांवों के 50 हजार लोगों ने साहिबगंज के भोगनाडीह गांव पहुंचकर अंग्रेजों से आमने-सामने ही जंग का एलान कर दिया। आदिवासी भाइयों सिद्धो-कानहो और चांद-भैरव के नेतृत्व में तब संथालों ने मालगुजारी नहीं देने और अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो का जोर-शोर से एलान किया। अंग्रेजों ने तब संथाल विद्रोहियों से घबराकर उनका दमन प्रारंभ किया। इसकी प्रतिक्रिया में आदिवासियों ने अंग्रेजी सरकार की ओर से आए जमींदारों और सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया। तब विद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। चांद और भैरव को अंग्रेजों ने मार डाला। इसके बाद सिद्धो और कान्हो को भोगनाडीह में ही पेड़ से लटकाकर 26 जुलाई 1855 को फांसी दे दी गई। उन्होंने कहा कि हूल दिवस संघर्ष के साथ अपने अधिकार पर विजय पाने का एक मिसाल भी है। इस अवसर पर ग्राम प्रधान दुर्योधन प्रधान, सुरेश टुडू, मनोहर माहतो, उदय महतो, शिवचरण मार्डी, मोटू माझी, खेत्रमोहन नायक, विरसिंह टुडू, मरकंडो नायक, गुरुचरण नायक, गौरंगों नायक, मकरु नायक, अरुण महतो, दुर्गा नायक, सूरज मार्डी, रविन्द्र नाथ महतो, तारणी लोहार, दीपक गोराई, राधेश्याम महतो, विजय हांसदा आदि उपस्थित थे।