झरिया। सामाजिक समानता, बहुजन एवं श्रमण संस्कृति के महान समर्थक, इस देश के गरीब दलित पिछड़े आदिवासी एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों के महान हित चिंतक भारत लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद जी का जन्म दिनांक 2 फरवरी 1922 को बिहार के जहानाबाद अभी वर्तमान में अरवल जिला, के समीप कुर्था प्रखंड के कुल्हारी गांव में माता माननीय रासकली देवी तथा पिता माननीय प्रयाग नारायण सिंह के आंगन में हुआ था। इस देश मैं मूलनिवासी महापुरुषों के संघर्षों एवं विचारधाराओं से सिख प्राप्त करते हुए समतामूलक समाज की स्थापना हेतु अपना जीवन निछावर कर दिया, सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए जन चेतना का कार्यक्रम निरंतर धारदार तरीके से चलाया उन्होंने मनुवादी विचारधारा का पुरजोर विरोध करते हुए यह आवाहन किया कि इस देश की 90% आबादी यहां के मूल निवासियों की है जिसमें दलित ,पिछड़े ,शोषित, आदिवासी, अल्पसंख्यक यह सभी लोग आते हैं भारत की राजनीति में मूलनिवासी शब्द की अवधारणा सबसे पहले बाबू जगदेव प्रसाद जी ने ही दिया
बाबू जगदेव प्रसाद की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन सिर्फ बिहार में ही नहीं संपूर्ण भारत वर्ष में बढ़ती जा रही थी, उनकी लोकप्रियता से मनुवादी सवर्णों के आंख की किरकिरी बन गई थी उस समय की राजनीति लोगों के लिए संकट का कारण नजर आ रही थी अतः उन लोगों ने षडयंत्र पूर्वक बाबू जगदेव प्रसाद को मिटाने का कार्यक्रम तय किया दिनांक 5 सितंबर 1974 को तत्कालीन जहानाबाद जिला एवं वर्तमान में अरवल जिला के कुर्था प्रखंड में बाबू जगदेव प्रसाद ने शोषित समाज दल के बैनर तले लगभग 15000 की संख्या में गरीब दलित वंचित अल्पसंख्यक के साथ सरकार की दमनकारी नीतियों एवं सवर्णों के अन्याय पूर्ण क्रियाकलापों के खिलाफ चेतावनी रैली एवं सभा का आयोजन किया तो सरकार में बैठे हुए सामंती विचारधारा के लोगों के शह पर एवं स्थानीय सामंतों के स्वर्ण वादी मानसिकता के दुष्चक्र में इस भरी सभा में बाबू जगदेव प्रसाद जी के ऊपर लाठीचार्ज एवं बिना खबर किए ही गोली चलाई गई जिससे पुलिस के द्वारा चलाई गई गोली बाबू जगदेव प्रसाद जी के गर्दन को पार करते हुए निकल गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उस घायल अवस्था में ही पुलिस वालों तथा सामंती गुंडों ने उन्हें पुलिस के जीप में बांधकर के लगभग 10 किलोमीटर तक घसीटा बाबू जगदेव प्रसाद जी को प्रखंड परिसर से कार्यक्रम स्थल से घसीटते हुए थाना ले गए और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया जिससे थाने में ही उनकी मृत्यु हो गई सामंतों एवं पुलिस प्रशासन के गठजोड़ बाबू जगदेव प्रसाद की लाश को कूर्था में ही छिपा कर नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा था तभी यह बात जब उस समय पिछड़ा वर्ग के प्रखर नेता शेरे बिहार राम लखन सिंह यादव ने ऐलान करते हुए कहा कि यदि 12 घंटे के अंदर बाबू जगदेव प्रसाद की लाश पटना नहीं लाया गया तो पूरा बिहार धू-धू कर जल उठेगा बाबू जगदेव प्रसाद के पक्ष में पिछड़े वर्ग के इस प्रमुख नेताओं के गोलबंद होने के कारण उनकी लाश छुपाने का षड्यंत्र विफल हुआ और उसे आम जनों के दर्शन हेतु पटना लाया गया।
सामंती विचारधारा के लोगों की साजिश थी कि बाबू जगदेव प्रसाद जी की मृत्यु के पश्चात उनके द्वारा फैलाए गए विचारधारा को भी मार दिया जाएगा परंतु विचारधारा किसी व्यक्ति के मरने से नहीं मरती है यह बात उन्हें पता नहीं थी बाबू जगदेव प्रसाद जी की विचारधारा से प्रेरणा पाकर बिहार एवं भारत के धरती पर दर्जनों राजनीतिक दलों के राजनीति की एवं सफलता भी प्राप्त किया बाबू जगदेव प्रसाद ,रामस्वरूप वर्मा, पेरियार ललई सिंह यादव जैसे पिछड़े वर्ग के महान मानवतावादी विचार को की विचारधाराओं के ऊपर कार्य करने की अति आवश्यकता है आज की सरकार के द्वारा येन केन प्रक्रिया से भारतीय संविधान जो समता ,स्वतंत्रता एवं बंधुत्व की विचारधारा पर आधारित है एवं सभी लोगों के हक और अधिकार की बात करता है उसको मिटाने की साजिश की जा रही है और हमारे लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं,जब तक इन महापुरुषों की विचारधारा को जन जन तक नहीं पहुंचाया जाएगा तब तक समतामूलक समाज की स्थापना का सपना पूरा नहीं होगा सामाजिक जागृति के बिना व्यापक स्तर पर राजनीतिक बदलाव किया जाना संभव नहीं है इसलिए राजनीति के क्षेत्र में तथा समाज के क्षेत्र में काम करने वाले अगली पंक्ति में खड़े सभी लोगों की जवाबदेही बनती है कि वह समाज में जाकर प्रत्येक आदमी तक बहुजन महापुरुषों के विचारधाराओं को सीखने एवं प्रचार करने का काम करें,ताकि अपने मूल निवासी महापुरुषों का सपना साकार हो सके और भारत में समतामूलक समाज की स्थापना हो सके।
बाबू जगदेव प्रसाद के जन्मदिन पर सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम सभी उनके सपना को सकार करेंगे और उनके बताए हुए रास्ते पर चलेंगे।