कतरास – कोरोना महामारी के प्रादुर्भाव के कारण वर्षभर पूर्व देशभर में प्रथम ‘जनता कर्फ्यू’ और फिर ‘यातायात बंदी’ लागू की गई, परिणामस्वरूप लोग बाहर निकल नहीं पा रहे थे । इस काल में सभी व्यवहार ठप्प होने से अनेकों को तनाव, निराशा आदि मानसिक विकारों का सामना करना पड रहा था । ऐसी आपात्कालीन स्थिति का सामना करते हुए आनंदी कैसे रहना है, इसके साथ ही इस काल में मानसिक और आध्यात्मिक बल कैसे बढाएं, इस हेतु हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था के संयुक्त विद्यमान से ‘ऑनलाइन’ सत्संग श्रृंखला आरंभ की गई । प्रौढों के लिए ‘धर्मसंवाद’, बालकों के लिए ‘बालसंस्कार’, साधना में रुचि होनेवालों के लिए ‘भावसत्संग’ और ‘नामजप सत्संग’ इस हिन्दी भाषा की 4 सत्संग श्रृंखलाएं आरंभ की गईं । इन श्रंखलाआें की अब वर्षपूर्ति हो रही है । वर्षभर में इन श्रृंखलाआें का दर्शकों से उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला । इस आपत्ति के काल में भी भगवान श्रीकृष्ण और सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी की अपार कृपा, इसके साथ ही दर्शकों के उत्स्फूर्त प्रतिसाद के कारण यह श्रृंखला वर्षभर से नियमितरूप से शुरू है । इसलिए इस वर्षपूर्ति के निमित्त से कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए 3 अप्रैल से 10 अप्रैल तक ‘धर्मशिक्षा की वर्षगांठ – कृतज्ञता समारोह’ सप्ताह मनाया जानेवाला है ।
सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने अध्यात्म, धर्म, संस्कार, संस्कृति, ईश्वरप्राप्ति के लिए साधना आदि विविध विषयों पर अनेक वर्ष प्रत्यक्ष साधना, संशोधन और अभ्यास कर अखिल मानवजाति के लिए उपयुक्त लेखन किया है । इन सत्संग श्रृंखलाआें के ज्ञान का स्रोत मूल लेखन ही है । ‘बालसंस्कार’ श्रृंखला में ईश्वर समान माता-पिता की सेवा का महत्त्व, अच्छे संस्कार होने हेतु प्रतिदिन किए जानेवाले कृत्य आदि विषयों के कारण भावीपीढी आदर्श और सदाचारी बनेगी । ‘धर्मसंवाद’ श्रंखला द्वारा हिन्दू धर्म संबंधी समाज में फैली गलतफहमी दूर कर धर्म की जानकारी दी जाती है, यह घरबैठे धर्मशिक्षा है । ‘नामजप सत्संग’ श्रृंखला में नामजप का महत्त्व, करने की पद्धति, प्रत्यक्ष जप करना आदि साधना के संदर्भ में; तो ‘भावसत्संग’ श्रृंखला में ईश्वर के प्रति का भाव कैसे बढाएं, इस विषय में मार्गदर्शन किया जाता है