नही रहे मैथिली साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकार अमर

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धनबाद। मैथिली भाषा के साहित्यकार चंद्रनाथ मिश्र अमर का दरभंगा के मिश्र टोला स्थित आवास पर 96 वर्ष की अवस्था मे निधन हो गया। चंद्रनाथ मिश्र के निधन से मैथिली भाषा के मूर्धन्य कवि व साहित्यकार खो दिया। चंद्रनाथ मिश्र अमर के निधन पर विद्यापति समिति भुली शाखा के सदस्यों ने भी शोक व्यक्त किया और चंद्रनाथ मिश्र अमर के निधन पर श्रधांजलि अर्पित की।

नवीन कुमार तिवारी अध्यक्ष विद्यापति समिति ने कहा कि चंद्रनाथ मिश्र अमर मिथिला के सिरमौर थे। उनके निधन से मैथिली भाषा साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई करना संभव नही है। चंद्रनाथ मिश्र अमर का मिथिला साहित्य को नया आयाम देने में सहयोग रहा है और उनके रचना को हास्य व उपन्यास के लिए हमेशा जाना और पढ़ा जाएगा।

इन्द्रकांत झा कार्यकारी अध्यक्ष विद्यापति समिति भुली शाखा ने कहा कि चंद्रनाथ मिश्र अमर मूर्धन्य कवि व साहित्यकार को आज मिथिला ने खो दिया। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सुशोभित चंद्रनाथ मिश्र अमर विदाग़री, वीरकन्या उपन्यास, जल समाधी कथा संग्रह, गुदगुदी, उनटा पान जैसे कविता संग्रह के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। चंद्रनाथ मिश्र अमर मैथिली भाषा के साथ बंगला भाषा के राजशेखर बसु के पुस्तक परशुरामक बीछल बेरायल के लिए साहित्य अकादमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार भी मिला।

दीपक झा महासचिव विद्यापति समिति भुली शाखा सह एडुकेशन वर्ल्ड के निदेशक ने कहा कि मिथिला ने आज अपना अनमोल रत्न खो दिया। वयोवृद्ध साहित्यकार चंद्रनाथ मिश्र अमर को मिथिला पत्रकारिता का इतिहास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले चंद्रनाथ मिश्र अमर एम एल अकादमी लहेरियासराय दरभंगा से शिक्षक से सेवानिवृत्त हुए थे। मिथिला साहित्य में अपने कविता, उपन्यास, कथा के लिए हमेशा याद रहेंगे। शिक्षा और पत्रकारिता को लेकर चंद्रनाथ मिश्र अमर के विचार मिथिला को हमेशा सिंचित करता रहेगा। उनके निधन से मिथिला और मैथिल समाज को अपूरणीय क्षति हुई है जिसका भरपाई संभव नही है।

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