कांड्रा / हरिहरपुर में दिवाली के तीसरे दिन ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी मूलवासीयों ने सोहराय व बंदना पर्व मनाया. पशुधन का त्यौहार सोहराय व बंदना पर कांड्रा के हरिहरपुर फुटबॉल मैदान में बैलों को नचा कर खुशी मनाया गया .
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गम्हरिया प्रखंड के पूर्व प्रमुख रामदास टूडू ने कहा की सोहराय पर्व झारखंडी सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है। यह पर्व गाय, बैल, भैंस और मानव के बीच गहरा प्रेम स्थापित करता है। यह पर्व भारत के मूल निवासियों के लिए विशिष्ट त्यौहार है। क्योंकि भारत के अधिकांश मूल निवासी खेती-बारी पर निर्भर हैं। खेती बारी का काम बैलों व भैंसों के माध्यम से की जाती है। इसीलिए सोहराय पर्व में पशुओं को माता लक्ष्मी की तरह पूजा जाता है।
रविवार को हरिहरपुर मैदान में बैल खूंटाव का आयोजन किया गया. जिसमें सर्वप्रथम गांव की महिलाओं ने बैलों की पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना की गई.तत्पश्चात बैलों को खूंटे में बांधकर मंदार की थाप पर खूब नचाया गया एवं गांव की महिलाओं और ग्रामीणों ने नाच गाना कर खूब जश्न मनाया.जिसमें हरिहरपुर के किसानों ने प्रतियोगिता में भाग लिया.गम्हरिया प्रखंड सहित विभिन्न गांवों में गोरू खूंटाव का आयोजन किया जा रहा है. गौरतलब है कि दिवाली के तीसरे दिन संथाल बहुल गांव में सोहराय तथा कुड़मी गांव में बंदना पर्व मनाया जा रहा है. गुहाल पूजा के तीसरे दिन बैलों को खूंटा में बांध कर खूब नचाया जाता है. यह त्यौहार मुख्य रूप से पशुधन के लिए आयोजन किया जाता है जिसमें पशुओं की सुख शांति के लिए पूजा की जाती है. मुख्य अतिथि के रुप में आगामी पंचायत के जिला परिषद भाग 13 से चुनाव लड़ रहे अख्तर हुसैन का भव्य स्वागत किया गया.कार्यक्रम को सफल बनाने में गम्हरिया प्रखंड के पूर्व प्रमुख रामदास टूडू,झामुमो के केंद्रीय सचिव कृष्णा बास्के,राम हांसदा,6 गौतम महतो,राजेश भगत, इन्द्रो मुर्मू,मांझी बाबा बैजनाथ मार्डी,जोक मांझी ,बलराम मुर्मू,गोटेत् रबिंदर हांसदा,विर्मल टुडू, संतोष टुडू आदि उपस्थित थे ।