कामरेड बृदा करात ने झरिया कोलफिल्ड के वासीयों के संघर्ष को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई : शिवबालक पासवान



धनबाद। झरिया। असलम अंसारी। दिल्ली दौरे के दरमियान झरिया कोलफिल्ड बचाओ समीति के साथी शिवबालक पासवान ने श्रीमती कामरेड बृदा करात से ए.के गोपलन भवन में भेट किये।
पासवान ने झरिया कोलफिल्ड के वर्त्तमान परिस्थितियों पर चर्चा करने से पहले धनबाद कोलफिल्ड के वासीयों ,ये देश की पहली राष्ट्रीय महिला नेत्री कामरेड बृदा करात ने झरिया कोलफिल्ड के वासीयों के संघर्ष को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।बृदा करात जी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय डा.मनमोहन सिंह के समक्ष तथा कोयला मंत्री जेसवाल जी,रेल व कोयला मंत्री पी.एस गोयल जी के साथ कोलफिल्ड की समस्या रखी थी और राज्य सभा में आप लोगों के सवालों को उठाई थी।आज उनसें मिलकर चर्चा करने का अवसर मिला तो पहले झरिया कोलफिल्ड वासीयों के ओर से उन्हें धन्यवाद किया और चर्च आगे बढ़ा ।पासवान ने कहा की झरिया शहर अभी सुरक्षित है लेकिन भविष्य में कुछ भी हो सकता है भय का वतावरण भी है क्योंकि शहर के चारों ओर ओपेन कास्ट कर के जमीन को बारवाद तेजी किया जा रहा है।झरियावसीयों के रैयतों ने हमेशा बेहतर मुआवजा पर चर्चा करते हैं तथा शहर में दुकानदार हैं भाड़े दार हैं तथा अन्य वर्ग उनके ओर से कोई सुझाव नहीं आ रहा है और न ही संघर्ष के लिए तैयार हैं परन्तु कोरोना महामारी ने व्यापार को प्रभावित किया। उनकी समझ है जो सबका होगा वह मेरा होगा। फिलहाल झरिया कोलफील्ड बचाओ समिति की बैठक में चर्चा यह हुआ कि झरिया शहर का विस्थापन ही सरकार का विकल्प है तो एक नया झरिया बनाया जाए। तब तक इस शहर की सुरक्षा, विकास और ज्वलंत समस्याएं हल होनी चाहिए। फिलहाल पीएमओ के एक कमेटी ने दौरा अग्नि -भूधासान क्षेत्रों की तथा बेलगडी़य पुनर्वास वासियों का भी दौरा किया। वहाँ की स्थिति के लिए केन्द्र की सरकार बेचैन है कि जल्द से जल्द पुनर्वास का काम किया जाए क्योंकि बीसीसीएल को बेचा जाएगा लेकिन उससे पहले विस्थापन की समस्या जल्द से जल्द हल करना चाहती है यदि बीसीसीएल अदानी अंबानी को दिया जाएगा तो विस्थापन और पुनर्वास की समस्या विकराल रहेगी इसीलिए एक योजना के तहत केन्द्र की सरकार गम्भीर है की विस्थापन से जुड़े समस्याएं जल्द से जल्द हल हो। कोयला उद्योग को बेचने का अवसर मिलेगा। झारखंड की सरकार गम्भीर नही है क्योंकि राज्य सरकार और बीसीसीएल प्रबंधन को जमीन देना होगा और प्रबंधन ने रैयतों जमीन का उपयोग किया लेकिन आज भी नौकरी व मुवावजे नही दिया है।धनबाद जिला में तमाम राजनीतिक दल है ।जिसमें भारतीय जनता पार्टी के संसद और तीन विधायक हैं लेकिन झरिया कोलफील्ड के सवाल पर कोई गंभीर नही हैं।लेकिन उनका भी तो विस्थापन होगा।
उन्होंने सुझाव दिया चाहे रैयत हो या आम आदमी हो जब तक सारे धनबाद जिला कि आम लोग आंदोलित नहीं होंगे, संगठित नहीं होंगे, एकता नहीं बनाएंगे, तब तक यह राष्ट्रीय मुद्दा है राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के दरमियान ही कोई नया शहर बनाया जा सकता है लेकिन संघर्ष ही एक विकल्प है तमाम मत भेदों को भूलाकर इस संघर्ष को एक जन-आंदोलन ,संघर्ष बनाना होगा। कारण कि सामाजिक ,आर्थिक दृष्टिकोण से लड़ा जा सकता है जहां तक मेरा सवाल है तो मैं और हमारी पार्टी झरिया कोलफिल्ड विस्थापन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखती हुँ। कामरेड वृंदा करातजी ने कहा कि आंदोलन ही एक विकल्प हैं।यदि आंदोलन होगा। तो ही मै सुझाव दुंगी

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