खरसावां हल्दी ‘अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज’ से हुई सम्मानित

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सरायकेला/ सरायकेला-खरसावां जिला के आदिवासी बहुल खरसवां प्रखण्ड के बिहड़ रायजमा गांव में किसानों द्वारा उपजाये जा रहे हल्दी को राष्ट्रीय स्तर पर ‘अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज’ सम्मान से सम्मानित किया गया। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की अनुषंगी इकाई ट्राइफेड के 34वां स्थापना दिवस पर नयी दिल्ली में केंद्रीय जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ऑन लाइन आयोजित कार्यक्रम में खरसावां हल्दी के लिये ट्राइफेड के झारखंड कार्यालय को ‘अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज’ से सम्मानित किया। हल्दी के इसी पाउडर को ट्राईफेड की ओर से रांची के सरकारी फूड लैब में जांच करायी गयी, तो इसकी गुणवत्ता सामान्य हल्दी से अधिक मिली. सामान्य तौर पर हल्दी में करीब दो फीसदी करक्यूमिन होता है. परंतु रायजेमा की ऑर्गेनिक हल्दी में सात फीसदे से अधिक करक्यूमिन पाया गया, यहीं इस हल्दी की विशेषता है. हल्दी किसानों को ट्राइफेड शुरुआती सहयोग कर रही है. रायजेमा की ऑर्गेनिरक हल्दी अब देश-विदेश में ट्राईफेड के आउटलेट में मिलने लगेगी।
रायजेमा के किसानों को एकजुट कर उत्पाद की प्रोसेसिंग कराई जा रही है। ग्रामीणों को पैकेजिंग मटीरीअल दिया है। पॅकिंग के लिए मशीन दी है। इसके लिए स्वयं महिला सहायता समूह की मदद ली जा रही है । रायजेमा व आस पास के गांवों में बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती होती है। यहां के किसान आज भी पोईला (एक प्रकार का हल्दी मापन का पत्र) से हल्दी बेचते थे। ट्राइफेड के वहाँ पहुँचने से ग्रामीणों को हल्दी की अच्छी कीमत अभी मिलने लागी है। बताया जाता है कि किसान बिना किसी रासायनिक खाद के 60-65 सालों से हल्दी की खेती करते आ रहे है. रायजेमा गांव करीब सभी घर के लोग हल्दी लगाते है। इनको पहले बाजार नहीं मिला था। केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने ट्राइफेड को वहाँ जाकर हल्दी देखने एवं सहयोग करने का निर्देश दिया । इसके बाद ट्राइफेड की टीम वहाँ जाकर हल्दी का अवलोकन किया तो पाया की हल्दी अच्छी है। इसके बाद ट्राइफेड की ओर से एक महिला स्वयं सहायता समूह को हल्दी पककेजिंग का समान आदि दिया गया ।गांव के लोगों को ट्राइफेड शुरुआती सहयोग कर आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी कर रही है। ट्राइफेड बाजार उपलब्ध करने की भी व्यवस्था की है। रायजमा गाँव द्वारा उत्पादित यह हल्दी देश के की सेंटरों मे बेचे जाएंगे। बताया जाता है कि पहले ग्रामीण 80 रुपया पोईला के हिसाब से हल्दी बेचते थे । प्रोसेस करने के बाद 100 से लेकर 700 ग्राम तक का पैक तैयार कराया गया है । 100 ग्राम की कीमत 35, 250 ग्राम की कीमत 80, 500 ग्राम की कीमत 145, एवं 700 ग्राम की कीमत 190 रुपये रखी गई है।

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