खरसावां में सादगी के साथ मनाया गया रोजो पर्व

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बनस्ते डाकिला गजो, बरसकु थोरे आसिछी रजो

सराईकेला / सोमवार व मंगलवार को खरसावां, कुचाई व आस पास के गांवों में सादगी के साथ रजो पर्व मनाया गया। इस वर्ष कोविड-19 को लेकर लोगों ने घर में रह कर रजो पर्व मनाया तथा झूला झूलने की रश्म को पूरा किया। घर के आंगन में रस्सी से झूला बना कर रजो संक्रांति पर महिला व बच्चों ने झूला झूलने की वर्षो पुरानी परंपरा को निभाया गया। झूला झूलते वक्त विशेष तौर से बनाये गये रजो गीत को भी गाया गया। दोली हुए रट रट, मो भाई मुंडरे सुना मुकुटो, सुना मुकुट लो दिसु थाये झट झट…, कट कट हुए दोली, भाउजोंक मन जाइछी जली, जाइछी जली लो, लो भाई विदेशु नइले बोली… आदी रजो गीत झुला झूलने के दौरान गाये गये। घरों में विधिवत पूजा अर्चना कर सभी रश्मों को निभाया गया। ओड़िया घरों में उदड़ की दाल व चावल से तैयार किया गया पीठा (एक तरह का केक) बना कर देवी-देवताओं को आर्पित किया गया. इस मौके पर घरों में विशेष रुप से चावल के पावडर से अल्पना भी बनाया गया। कोविड-19 को लेकर रजो पर्व पर गितीलोता, मरांगहातु, रामपुर, देहरीडीह समेत विभिन्न गांवों में आयोजित होने वाले मेला को इस वर्ष स्थगित कर दिया गया था। इस वर्ष कहीं भी रजो मिलन समारोह का आयोजन नहीं किया गया. कोरोना को लेकर कहीं भी सामुहिक रुप से झूला झूलने का कार्यक्रम नहीं रखा गया

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