कड़ाके की ठण्ड फिर भी सरकारी सुविधा बनी गधे की सिंघ

डॉ.संजय प्रसाद,मांडर राँची |

मांडर/चान्हो | कड़ाके की ठण्ड फिर भी सरकारी सुविधा बनी गधे की सिंघ,ग्रामीण ठंढ से बेहाल होकर कोस रहे वोट लेने के लिए जनता की हर समस्या दूर करने वाले जनप्रतिनिधियों को। क्षेत्र में ना कोई विकास दिखता ना ही कोई विकास की किरण फिर भी जनता लुभावने भाषण और आश्वासन सहित -. – – पर अपनी उन्हें महान बनाकर छोटे से काम के लिए उनकी जी हजूरी करती है।

ना सही से नल जल,ना सही से बिजली पोल पर लाईट,ना ट्रासफ़ार्मर जलने के बाद यथाशीग्र बदलाव,ना एन.एच आई – ३९ में सड़क सुरक्षा,सड़कों का सही निर्माण,सफाई की व्यवस्था,जलनिकासी की व्यवस्था,डिभाईडर पर उगे सूखे कई महीनों के घास व बिना सिचाई के जल बिन मच्छली के भगवान भरोसे जीवित पौधे,टोल के समीप वाहनों के ठहराव से सड़क पर जमे डस्ट जो वाहनों के आवागमन से स्थानीय लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है |

टोल के निकट वाहनों का प्रेसर हॉर्न का रात में बजाना बुजुर्गो एवं मरीजों के लिए खतरनाक बना हुआ है,आखिर किस विकास के लिए ग्रामीण जनप्रतिनिधि को अपना वोट देते हैं समझ से परे है।जल संचय के लिए डोभा पर करोड़ों उड़े आज सभी डोभा,गायब,तालाब कुआँ हाथी के बने दाँत,बृक्षारोपण से अधिक कटाव,अधिकांश आंगनबाडी सिर्फ कागजी फिर क्या विकास और कार्य कर रहे जनता के लिए जनप्रतिनिधि जिन्हें जनता अपने क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिनिधि बनाई है।

Categories: