बी. आई.टी. सिंदरी के असैनिक अभियंत्रण विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

सिंदरी | बी. आई.टी. सिंदरी के असैनिक अभियंत्रण विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अंतर्गत आज विभाग के राजेन्द्र प्रसाद हॉल में एक्सपर्ट लेक्चर सीरीज का आयोजन किया गया। जिसमें देश विदेश से आए विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञो ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।

पहले सत्र के पहले विशेषज्ञ के रूप में मुख्य अतिथि डॉ. बी. भट्टाचार्यजी प्राध्यापक आईआईटी दिल्ली ने “असैनिक अभियंत्रण में सतत विकास, कार्बन उत्सर्जन और चुनौतियां ” के विषय पर विस्तृत चर्चा किया।

डॉ. भट्टाचार्यजी ने पर्यावरण कानूनों के विकास पर गहन चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से जैविक क्षमता और पारिस्थितिकी पदचिह्न (Ecological Footprint) के विषय पर विस्तार से जानकारी दी। अपने संबोधन में उन्होंने पृथ्वी के ऊर्जा चक्र और कार्बन चक्र के प्रभावों को समझाते हुए यह बताया कि इनसे पर्यावरण और मानव जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ता है।

अंत में, डॉ. भट्टाचार्य ने पर्यावरण संरक्षण की महत्ता पर जोर देते हुए यह कहा कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने और उनके दुष्प्रभावों को कम करने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने यह संदेश दिया कि यदि हम इन चुनौतियों का सामना सही समय पर करें, तो एक संतुलित और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है।

लेक्चर सीरीज के दूसरे विशेषज्ञ के रूप में प्रो. (डॉ.) एस. के. दास, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) आईएसएम धनबाद में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं, ने काफी महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने अनुभव और शोध कार्यों के आधार पर निर्माण सामग्री और कचरे उत्सर्जन के पुनर्चक्रण पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि कचरे को केवल बेकार समझना उचित नहीं है, क्योंकि यह विभिन्न रासायनिक संरचनाओं से बनता है और इसके पुनर्चक्रण से नई उपयोगी सामग्री बनाई जा सकती है। उन्होंने फ्लाई ऐश का उदाहरण देते हुए बताया कि इसका उपयोग पर्यावरण-अनुकूल ईंटों और कंक्रीट निर्माण में किया जा सकता है।

लेक्चर सीरीज के इस सत्र के अंत में डॉ. संजय कुमार शुक्ला सम्मेलन के सचिव सह संस्थापक एवं मुख्य संपादक इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ जिओ सिंथेटिकस और ग्राउंड इंजीनियरिंग ने ,पुनर्चक्रण योग्य सामग्री के उपयोग और पर्यावरण-संरक्षण के दृष्टिकोण पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे कचरे का सही उपयोग करके उसे पुन: प्रकृति में लौटाया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने उथली नींव (Shallow Foundation) के उपयोग और उसके लाभों के बारे में विस्तार से समझाया। डॉ. शुक्ला ने बताया कि निर्माण कार्यों में मिट्टी की प्रकृति, लागत और उपयोगी सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए उथली नींव अधिक लाभकारी हो सकती है।

दूसरे सत्र के पहले विशेषज्ञ के रूप में डॉ पिजुश समुई प्राध्यापक एन आई टी पटना ने “असैनिक अभियंत्रण में डेटा-ड्रिवन मॉडल का प्रयोग” विषय पर विस्तृत चर्चा किया।

उन्होंने डेटा-ड्रिवन मॉडल के उपयोग के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि कैसे इन मॉडलों का प्रयोग निर्माण, संरचनाओं की सुरक्षा, ट्रांसपोर्टेशन, जल संसाधन, और अन्य सिविल इंजीनियरिंग क्षेत्रों में निर्णय लेने की प्रक्रिया को और अधिक सटीक और प्रभावी बना सकता है।

इस सत्र में दूसरे एक्सपर्ट के तौर पर डॉ सुनील कुमार गुप्ता मौजूद थे, जो कि आईआईटी आई एस एम धनबाद में पर्यावरण विज्ञान और अभियांत्रिकी के प्रोफेसर एवं विशेषज्ञ हैं। उन्होंने
जल प्रबंधन के सतत समाधानों पर व्याख्यान देते हुए
जलवायु परिवर्तन और जल संकट के बढ़ते खतरे के बीच पानी के संसाधनों के प्रबंधन के प्रभावी और टिकाऊ तरीकों पर प्रकाश डाला।
अपने व्याख्यान में डॉ. गुप्ता ने बताया कि कैसे आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जल के प्रबंधन में सुधार किया जा सकता है।
साथ ही उन्होंने एशिया के सबसे बड़ा कोल फील्ड झरिया कोल फील्ड के क्षेत्र में जल संकट और समाधान के विषय को ज्वलंत मुद्दा बताते हुए कहा कि
यह क्षेत्र , अत्यधिक भूजल दोहन और प्रदूषण के कारण जल संकट का सामना कर रहा है।उन्होंने इस समस्या से बचने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा करते हुए बताया कि वर्षा जल संचयन,मिट्टी और जल संरक्षण,खदानों के पास वृक्षारोपण , लाभदायक साबित होगा।
सत्र के अगली कड़ी में पुर्तगाल के एवेरो विश्वविद्यालय से डॉ. फर्नांडा बी. फेरेरा ने “ग्रेनाइट अवशेष मिट्टी में एक यूनियाक्सियल जियोग्रिड के मल्टीस्टेज पुलआउट परीक्षण” विषय पर चर्चा ऑनलाइन माध्यम से की। डॉ. फेरेरा ISSMGE ब्राइट स्पार्क लेक्चर अवार्ड और यंग IGS अवार्ड से सम्मानित हैं।
इस पूरे दिन में विभिन्न में आयोजित विभिन्न तकनीकी सत्र में लगभग 50 शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए।

लेक्चर सीरीज की समाप्ति के बाद सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ ब्रह्मदेव यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

पहले दिन के संध्या में विद्यार्थियों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने उपस्थित सभी लोगों को आनंदित कर दिया। सभी अतिथियों ने विद्यार्थियों की अकादमिक उपलब्धि के अलावा ,सांस्कृतिक कार्यक्रम में बेहतरीन प्रस्तुति की खूब प्रशंसा किया। इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी अतिथियों एवं विभाग के पूर्ववर्ती प्राध्यापकों को उनके अतुलनीय योगदान के लिए शॉल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। आयोजन समिति की ओर से एक रात्रि भोज का भी आयोजन किया गया था ,जिसमें सभी अतिथियों के साथ साथ संस्थान के सभी प्राध्यापकगण सपरिवार शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की पूर्ण भागीदारी देखी गई। कार्यक्रम की सफलता में ,प्रो. प्रफुल्ल कुमार शर्मा, डॉ. माया राजनारायण रे, डॉ. निशिकांत किस्कू, डॉ. ब्रह्मदेव यादव, डॉ. कोमल कुमारी, डॉ. अभिजीत आनंद, प्रो. इकबाल शेख, प्रो. सरोज मीना और प्रो. प्रशांत रंजन मालवीय का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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