काला हीरा में नाट्य, नृत्य व गायन में कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन

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धनबाद: सामुदायिक भवन,कोयला नगर में आयोजित चार दिवसीय आठवीं सांस्कृतिक कार्यक्रम काला हीरा में तृतीय दिन काला हीरा के निदेशक राजेंद्र प्रसाद व उनकी धर्मपत्नी पूनम प्रसाद ने ऑल इंडिया थिएटर काउंसिल व पूर्व अध्यक्ष अशोक मानव, आईटीसी के उपाध्यक्ष व जमशेदपुर के लोकप्रिय सांस्कृतिक संस्था पथ के निदेशक मोहम्मद निजाम, और पथ संस्था की छवि दास को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत सम्मानित किया। मौके पर मुख्य अतिथि अशोक मानव ने कहा काला हीरा जैसा प्रतिष्ठित मंच कलाकारों को प्रदान करना बहुत ही तपस्या एवं कठिनाइयों का कार्य है जिसे राजेंद्र प्रसाद बखूबी कर रहे हैं। उन्होंने कहा आज की तारीख में सरकार कागजों पर कलाकारों के लिए निश्चित रूप से काफी विकास दिखा रहे हैं |

कलाकारों को प्रदान किया फंड भी दिखाया जा रहा है लेकिन यह ग्रास रूट के कलाकारों के लिए महज एक दिखावा है, सिर्फ छलावा है सरकार के द्वारा कलाकारों के लिए जो भी सुविधाएँ एवं राशियाँ निर्गत की जाती है उसे कुछ खास लोगों का एक समूह है जिसे हड़प लिया जाता है। वह राशि संस्थाओं एवं कलाकारों के पास नहीं पहुंच पाती सरकार इस संबंध में कलाकारों के हित के लिए त्वरित संज्ञान ले ताकि उनकी दी हुई राशि और सुविधा भारत के हर सांस्कृतिक एवं शास्त्रीय कलाकारो,संस्थाओं तक पहुंचे तभी देश के सांस्कृतिक एवं शास्त्रीय विरासत का संपूर्ण विकास होगा।

ऑल इंडिया थिएटर काउंसिल के अष्टभुजा मिश्रा संगीत नाटक अकादमी ने नौटंकी,गायन और अभिनय के लिए पुरस्कार दिया ज़िंन्होने हिंदुस्तान समेत 6 देश में नौटंकी की प्रस्तुति कर भारत का नाम रोशन किया है उन्होंने कहा कि काला हिरा शास्त्रीय एवं सांस्कृतिक कलाकारों के कलाओं को जीवित रखने और सम्मानित करने का पूरे देश में बहुत बड़ा मंच है। नौगांव गौहाटी असम से आसामी लोक नृत्य में पारंगत स्मृति कश्यप ने कहा काला हीरा में परफॉर्मेंस करने के लिए सालों भर इंतजार करती हूं और काला हिरा के मंच में परफॉर्मेंस करके और पूरे देश से एकत्रित हुए कलाकारों से मिलकर,इन अनमोल पलों को दिल में याद करके पूरा साल जीती हूँ।

तृतीय दिन के निर्धारित कार्यक्रमों की शुरुआत हुनर संस्था आजमगढ़ के हुनर संस्था के कलाकारों द्वारा गणेश वंदना नृत्य की मनभावन प्रस्तुति से की गई। जिसके उपरांत स्थानीय एवं अन्य राज्य के कलाकारों ने ट्राइबल लोक नृत्य,देश के हर प्रांतो के लोक नृत्य भरतनाट्यम,ओडीसी, वेस्टर्न डांस,गायिकी ग़ज़ल गायन डुएट ,मोनो एक्ट शास्त्रीय, समूह शास्त्रीय नृत्य आदि नृत्य में बेहतरीन एवं मनमोहक प्रस्तुतियां देते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला बढ़ाई और दर्शकों को अपने अपने नृत्य से आनंदित किया।समस्त कलाकार ने अपनी मंच पर अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए काफ़ी उत्साहित थे जिसका समर्थन व हौसला अफजाई उनकी टीम एवं अभिभावकों द्वारा मिल रहा था। हर परफॉर्मेंस के बाद हॉल में दर्शकों की तालियां गूंज रही थी।

काला हीरा में कार्यक्रम के दौरान अक्षय कुमार की फिल्म मिशन रानीगंज के अभिनेता संजय भारद्वाज जो धनबाद के रहने वाले हैं उनको प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। तृतीय दिन के निर्णायक मंडली में आईटीसी उत्तर प्रदेश के प्रभारी डॉ अष्टभुजा मिश्रा,अलका सिंह शर्मा (अंतरराष्ट्रीय रंग महोत्सव की आयोजक, डायरेक्टर नाटरांजलि थियेटर आर्ट्स) फिल्म मेकर एंड सिंगर गौरव शर्मा (डायरेक्टर डी मीडिया प्रोडक्शन आगरा) थे ज़िंन्होने कलाकारों की कला की बारीकियां को को परखा और उनको अंक दिया। काला हीरा कार्यक्रम के समस्त विजेताओं की घोषणा सोमवार को अंतिम दिन किया जाएगा। साथ ही आज की नाट्य प्रस्तुति में निर्देशक और लेखक राजगोपाल पाढ़ी के निर्देशन में शापित पुत्र नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें एक पिता और पुत्र की कहानी है एक गरीब पिता रघु मिश्र अपने बेटे संग्राम को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाने के लिए अपना घर जमीन सब गिरवी रखता है। पर बेटा पढ़ लिखकर शहर में मजिस्ट्रेट बनकर शादी करके वहीं शहर में बस जाता है।

बड़ा आदमी बनकर बेटा अपने पिता और परिवार को भूल जाता है। अपने गांव और परिवार से मुंह फेर लेता है।जब भी पिता शहर आकर अपने बेटे से मिलने की कोशिश करते हैं तभी बेटा उन्हें भगा देता है जैसे कि वह उन्हें पहचानता ही नहीं।गरीबी के कारण गांव में संग्राम के छोटे भाई और बहन जूली का बिना इजाज के ही मौत हो जाती है अपना खून पसीना एक करके बेटे को पढ़ लिखा करके रघु मिश्रा आखिरकार बेबस हो जाता है। गांव का साहूकार उसके घर जमीन नीलाम करने के लिए कोर्ट से आदेश ले आता है। जब यह सारी बात संग्राम के ससुर वकील जीवन को पता चलता है तो वह अपनी बेटी रेखा के जरिए संग्राम को अपने आप से किए पाप से मुक्ति दिलाने के लिए उपाय करते हैं।जब संग्राम का कार एक्सीडेंट हो जाता है तब उसे सब अकेले छोड़ जाते हैं।

अकेलेपन में संग्राम प्रायश्चित करता है। आखिरकार उसे अपनी गलती का एहसास होता है अंत में उसे अपने पिता की हर पीड़ा कष्ट और अपने श्राप से मुक्ति देते हैं। इस नाटक में सारे किरदारों ने जीवंत अभिनय करके अपने अभिनय का लोहा मनवाया। काला हीरा के उद्घोषक एआईटीसी के आफताब राणा और रविकांत कुमार सिंह उर्फ रवि कुमार ने शायरी एवं गायिकी से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

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