गया।ओबीसी महासभा बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सह राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव एडवोकेट बीरेन्द्र कुमार उर्फ बीरेन्द्र गोप ने बिहार सरकार द्वारा पिछड़ों, अतिपिछड़ों व दलितों के लिए बढ़ाये गये आरक्षण को पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने की फैसला पर दु:ख जताते हुए कहा कि यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण तथा मनुवादी विचारधारा से प्रेरित फैसला है।
श्री बीरेन्द्र गोप ने कहा कि अगर बिहार सरकार द्वारा 65% आरक्षण का प्रावधान से अनुच्छेद 14 15 और 16 का उल्लंघन होता है तो आर्थिक आधार पर सवर्णों को दिए जा रहे 10% आरक्षण कितना जायज है।क्या इनमें उन मनुवादी न्यायधीशों को कोई बुराई नहीं दिखता। गोप ने फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक देश के न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम से न्यायधीशों को न्यूक्ति होती रहेगी तबतक देश के पिछड़ों,अतिपिछड़ों व दलितों की हकमारी होती रहेगी।
बीरेन्द्र गोप ने बिहार में डबल इंजन की सरकार के मुखिया नीतीश कुमार से इस फैसला के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने की मांग की है साथ ही सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि जिस प्रकार आर्थिक आधार पर सवर्णों के लिए 10% का प्रावधान किया है उसी प्रकार ओबीसी, एससी व एसटी समुदाय के लोगों के लिए भी सरकारी नौकरियों में 65% आरक्षण का प्रावधान करें।
उन्होंने ये भी कहा कि अगर बिहार सरकार पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो ओबीसी महासभा बिहार इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी। बीरेन्द्र गोप ने 2024 में हुये नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग की है तथा जदयू के सीतामढ़ी सांसद देवेश चंद्र ठाकुर द्वारा यादव, कुशवाहा व मुसलमानों के खिलाफ विषवमन कि निंदा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तत्काल सांसद की सदस्यता समाप्त कराने एवं जदयू से निकालने की भी मांग की है।