बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता |
औरंगाबाद | बिहार सरकार की ओर से जारी जाति जनगणना की रिपोर्ट पर छिड़े सियासी विवाद के बीच भाजपा नेता आदित्य श्रीवास्तव ने प्रेस बयान जारी करते हुए विपक्ष पर देश को जाति के नाम पर बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जाति जनगणना की रिपोर्ट और किसी पार्टी का नाम लिए बगैर विपक्ष पर गरीबों की भावनाओं के साथ खेलने का आरोप लगाया है। आदित्य श्रीवास्तव ने कहा- वे तब भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे और आज भी वही खेल खेल रहे हैं। पहले उन्होंने देश को जाति के नाम पर बांटा… आज भी वही पाप कर रहे हैं। पहले भ्रष्टाचार किया, आज इसमें और डूबे गए हैं। नीतीश कुमार अपनी सत्ता के सुख के लिए समाज को जाति समीकरण में बाट कर तोड़ना चाहते हैं, जातीय जनगणना कर के समाज में अनुवाद फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था पर बिहार की गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था पर बिहार पर बढ़ते अपराध पर लगाम लगाना चाहिए, बिहार में बड़े-बड़े उद्योग लगाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिससे बिहार के युवाओं को रोजगार मिल सके दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत ना हो, जदयू जातीय समीकरण की राजनीति कर के जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।कांग्रेस ने वादा किया है कि यदि वह देश की सत्ता में लौटती है तो जाति आधारित जनगणना कराएगी। राहुल गांधी लगातार जाति जनगणना की जरूरत बता रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस सबसे पहले जाति-आधारित जनगणना कराएगी। जाति के आधार पर समाज में विभाजन के प्रयास को ‘पाप’ करार दिया। उन्होंने कहा- कुछ लोगों को देश की प्रगति और विकास से नफरत है। वो तब भी जात-पात के नाम पर समाज को बांटते थे, आज भी यही पाप कर रहे हैं। वो तब भी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे रहते थे, आज तो एक से बढ़कर एक घोर भ्रष्टाचारी हो गए हैं। वो पहले एक परिवार का गौरव गान करते थे, आज भी वही कर रहे हैं। ये केवल अपना भविष्य देखते हैं इसलिए उनको देश का गौरव गान पसंद नहीं आता है,जिनके पास सोच नहीं वे विकास नहीं कर सकते हैं। उनके (विपक्ष के) पास कोई सोच या ‘रोडमैप’ नहीं है। भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में देश की प्रगति उनको (विपक्ष) अच्छी नहीं लगती है। उनको (विपक्ष) वैश्विक मंचों पर देश की प्रशंसा पसंद नहीं है। मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया भारत का गौरव गान कर रही है। मौजूदा वक्त में दुनिया को भारत में भविष्य नजर आता है, लेकिन वे (विपक्ष) राजनीति में इस कदर उलझे हैं कि कुर्सी के सिवाय उनको कुछ नजर नहीं आता है। उन्हें (विपक्ष) हिंदुस्तान का डंका बजना भी नहीं अच्छा लगता है।