मेरे मंद मंद मुस्कराहट के कारण तुम हो, क्या तुम्हें मेरा हाल पता है

मेरठ उत्तर प्रदेश। केदारनाथ मिश्र प्रभात फाउंडेशन की प्रभात धारा श्रृंखला की कड़ी “ महाकवि प्रभात की १७७ वीं जयंती विशेष काव्य पाठ “ का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जिसमें देश प्रांतों के सम्मानित कवि और कवयित्रियाँ अपनी रचनाओं से महाकवि को श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता रागिनी भारद्वाज ने किया और सफल संचालन उनकी द्वितीय पुत्री रूबी मिश्र ने किया।
आचार्य डॉ उमाशंकर सिंह,डॉ सुमेधा पाठक पटना से ,विजय प्रेमीजी , पूनम शर्मा जी मेरठ से नवनीत सिंह वर्धा महाराष्ट्र से , डॉ अणिमा श्रीवास्तव खगौल पटना से एवं हरिनारायण सिंह हरि जी समस्तीपुर बिहार से , पटल पर आमंत्रित थे। डॉ उमाशंकर जी,श्री विजय प्रेमी जी ने स्वर्गीय महाकवि के प्रति अपनी अगाध भक्ति व्यक्त करते हुआ कहा कि यदि प्रभातजी की सृजन कौशल की चर्चा करें तो उन्होंने सिर्फ़ हिन्दी साहित्य के ख़ज़ाने की ही श्रीवृद्धि नहीं की अपितु संपूर्ण देश में अपनी जन्मस्थली बिहार की एक अलग पहचान भी बनायी!
पूनम शर्मा ने कहा कि महाकवि प्रभात के विषय में कुछ कहना मानो प्रथम पायदान पर खड़ी कवयित्री का सूरज के सामने दीपक लेकर खड़ा होना है!उन्होंने कृष्ण की भक्ति में लीन पंक्तियाँ सुनाई । साथ ही प्रभु के निर्विकार स्वरूप पर एक कविता “मेरे मंद मंद मुस्कराहट के कारण तुम हो, क्या तुम्हें मेरा हाल पता है?”
सुमेधा पाठक ने स्त्री-पुरुष में समानता की होड़ पर अपनी कविता “मिथ्या अहं की तकराहट में, खंडित हृदय प्रदेश हुआ: सृष्टि हो रही पुनः आंदोलित, उथल पुथल परिवेश हुआ”। डॉ अणिमा ने देश में चल रहे अत्यंत ज्वलंत अभियान पर , रचना के माध्यम से श्रोताओं के समक्ष रखा “कई प्रश्न हैं सबसे अपेक्षित, क्या हिन्द में हिन्दी रहेगी उपेक्षित?”
समस्तीपुर बिहार के वरिष्ठ कवि हरिनारायण हरि जी ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी से जूझते अपनी संतानों की व्यथा का संदेश श्रोताओं से साँझा की”कछुए समनिज अंग समेटे रहते हैं, दूर अलग शहरों में बेटें रहते हैं!”वर्धा महाराष्ट्र के शोधार्थी नवनीत सिंह ने वर्तमान समय में छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं से ऊबते युवाओं की मनोदशा का चित्रण करते हुए कहा:”किताबें कमरें की शोभा बढ़ा रहीं हैं, मोबाइल फ़ोन झाँक रहा है टेबल पर,जो प्रतियोगी बन गये हैं, वे कर रहे हैं समय के साथ रस्सा कस्सी”
उमाशंकर जी ने महाकवि को स्मरणांजलि स्वरूप अपनी रचनायें “अपना सपना सदपावन हो , ध्येय अथोचित मनभावन हो”और अन्य कविताओं से पटल को अभिभूत किया।
मेरठ से वरिष्ठ कवि आदरणीय प्रेमी जी ने महाकवि प्रभात की रचनाओं को जनमानस को अनुप्राणित करने वाली रचनायें कही। महाकवि के मनप्राण से प्रेरित अपनी रचना उन्हें समर्पित करते हुए कहा “मौन है केदार मन का, आत्मा का गीत है, शब्द की धुन में सँवरता,ध्यान का संगीत है,प्रणव के संदेश पढ़ता,पुण्य का ले आचमन, सूर्य की नवरश्मियों सा गूँजता वातावरण”
कार्यक्रम का समापन करते हुए रूबी मिश्र ने आमंत्रित आदरणीय कवियों व कवयित्रियों तथा प्रिय श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए उनके सहयोग के लिए अनेक धन्यवाद भी निवेदित किये।

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