बिहार के लोगों का आत्मसम्मान पर जख्म देने वालों का इतिहास बहुत पुराना है – अनंत दिश अमन

गया। बिहार के लोगों को कभी दूसरें प्रदेशों के लोग बिहारी इस लहजे में बोलते थे जैसे वो गाली दे रहे हो आत्मसम्मान पर जख्म देने का उन लोगों का इतिहास बहुत पुराना है जिसे व्यक्त करने मात्र से रूह सिहर उठती है…

किंतु बिहार मुहावरों और कहावतों का प्रयोग करने वाला सर्वाधिक प्रदेश है एक कहावत है “हंसले घरवा बसो है” अर्थात जिसका लोग मज़ाक बनाते है वही एक दिन बेहतर रुप से स्थापित हो जाता है।

यह बात हम बिहारी लोग के लिए सटीक बैठती है जितना हमें अपमानित किया गया हमने उसपर ध्यान न देकर अपने आप को मजबूत और मेहनत करते गए हर क्षेत्र में इसका परिणाम फलस्वरूप यह हुआ की हर प्रदेश से लेकर विदेश तक में फैलते चले गए और अपनी कर्मठता से हर प्रदेश को निर्मित करने में और उसके विकास में अहम भूमिका निभाने लगे चाहे मजदूर बनकर या पढ लिखकर एंव होशियार बनकर उस प्रदेश का जीवन रेखा बन गए।
धीरे-धीरे दूसरें प्रदेश के लोग भी हम से घुलने मिलने लगे हमारी संस्कृति और मेहनत का सम्मान करने लगे और उनके अंदर आत्मीयता जागृत हो गई और यहीं तो हमारी भारत की अमिट संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् का सार भी है।
कल गुजरात के खेदा जिला के नाडियाड शहर जहाँ देश को सशक्त और अखंडता के सूत्र में बांधने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मभूमि हो ऐसी परम पावन भूमि आने मात्र से ऐसा लगता है जैसे लौहपुरुष स्वंय में जाग रहा है इस भूमि को बारंबार नमन..
ऐसी परम पावन भूमि में बिहारी समौसा सेन्टर देखा तो मन खुश हो गया वहां गया तो बिहार के भागलपुर जिला के दो भाईयों ने यह दुकान खोल रखा है मन प्रसन्नता से प्रफुल्लित हो उठा समौसा खाया और क्या स्वाद था अद्भुत खजुर की चटनी साथ हीं धनिया मिर्ची की चटनी दोनों भाईयों का व्यवहार और बात करने की शैली अद्भुत थी और बिहार की माटी की सौंधी खुशबू गुजरात जैसे प्रदेश मे मिल रही थी इससे सुखद एहसास और क्या हो सकता है।

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