गरीबी व भूख के रास्ते चमकता है अवैध कोयला बाजार – तरुण चंद्र राय

तरुण चंद्र राय

धनबाद – धनबाद की पहचान एम्स, एयरपोर्ट के लिए भले न हो इस जन सुविधा से धनबाद के लोग वंचित रहे हों । मगर धनबाद के कोयला से कोई अनभिज्ञ नही और न ही इसके अवैध कारोबार से है। झारखंड जब अलग राज्य बना तो धनबाद में बंद कोयला खदानों से अवैध तरीके से कोयला निकालने के विषय पर नरमी बरती गई कि गरीबी व भूख के कारण इस विषय को नजरअंदाज किया जाय। समय के साथ गरीबी से लड़ने व भूख मिटाने के लिए निकाला जाने वाला कोयला आज कुछ लोगों के लिए अकूत संपत्ति अर्जित करने वाला बन गया।
धनबाद में लगातार अवैध कोयला की खबर आम बात है और प्रशासन की सुस्ती पूर्ववत है। हाल ही बाघमारा क्षेत्र में अवैध कोयला उत्खनन के दौरान सीआईएसएफ जवान की गोली से कोयला निकलने वाले कई युवकों की जान चली गई। बाघमारा धनबाद निरसा झरिया क्षेत्र में अवैध तरीके से कोयला निकालने के दौरान चाल धसने से कई महिला पुरुषों ने अपनी जान दी है।
आज अवैध कोयला के वास्तविक धंधे का आंकलन करना भी मुश्किल हो चला है। धनबाद में रोजाना हजारो टन अवैध कोयला की निकासी होती है। लेकिन प्रबंधन द्वारा कोई शिकायत दर्ज नही कराई जाती। पुलिस भी तभी छापामारी अभियान चलाती है जब कोई नया अधिकारी आये या फिर कोई त्यौहार। यह गठजोड़ ही कई लोगों के जान गंवाने की वजह है।
धनबाद में हाल के दिनों में सोसल मीडिया पर ईस्ट बसूरिग ओ पी क्षेत्र का रंगुनी पंचायत और भुली ओ पी क्षेत्र में अवैध कोयला कारोबार की चर्चा गर्म रही है। गरीब व पेट भरने वालों के नाम पर सैकड़ो साइकिल व मोटरसाइकिल के सहारे कोयला जमा कर ट्रकों से बाहर भेजने का खेल चल रहा है।
यहां भी गरीब को उतना ही मिलता है जिससे कि वह पेट भर सके। कोयला निकालने के स्थान पर प्रति घंटा के हिसाब से पैसा चुकाने औऱ चौक चौराहों पर दस व बीस रूपया चढ़ावा देने के बाद प्रतिकिलो 4 से 5 रुपया का भुगतान मिलता है। इसके बाद बड़े वाहनों से रात के अंधेरे में कोयला बाहर भेज दिया जाता है।
भुली व ईस्ट बसूरिया व रंगुनी पंचायत क्षेत्र में रोजाना सेकड़ो सायकिल व मोटरसाइकिल से कोयला ढोने की तस्वीर किसी जायज मंडी से कम नही लगती।


एक साइकिल से कोयला ढोना मुश्किल लग सकता है। मगर रास्ते में इन सायकिल सवार चालको को मोटरसाइकिल के सहारे धक्का देकर गंतव्य तक पहुंचा दिया जाता है और इसके लिए भी शुल्क चुकाना पड़ता या एक गैंग के माध्यम से सहायता की जाती है।
आम आदमी को सड़क पर कोयला लदा सायकिल व मोटरसाइकिल आराम से दिख जाता है मगर पुलिस को साइकिल के मुठ के पास मसली हुई दस बीस का नोट ही काफी है।
भुली व रंगुनी पंचायत में कोयला का खेल में शामिल लोग दिन के उजाले में समाज सुधारक दिखते हों रात के अंधेरे में कोयला का काला अवैध कारोबार ही चलाते हैं। ऐसा हो ही नही सकता कि पुलिस को इसकी भनक न लगती हो मगर गांधी के तस्वीर वाले कागजो में सुना है दम बहुत है। देखना यह है कि हुक्मरानों की नींद कब खुलती है।

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