संवादाता तुषार शुक्ला
लखीमपुर खीरी । बेसिक शिक्षा परिषद की स्कूलों को कायाकल्प करने, डीएम महेंद्र बहादुर सिंह की अभिनव पहल “बेस्ट स्कूल ऑफ द वीक” कवायद का एक सकारात्मक प्रभाव खीरी के परिषदीय स्कूलों में दिखाई देने लगा है। परिषद के स्कूल में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतरीन टीचर और तकनीकी का उपयोग कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर रहे हैं।
डीएम की अभिनव पहल “बेस्ट स्कूल ऑफ द वीक” से नवाजे गए बांकेगंज ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय असौवा क्षेत्र के लिए नजीर बन चुका है। महकमे के मुताबिक इस विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता जिलेभर के अन्य सरकारी स्कूलों से काफी बेहतर है। वर्तमान में यहां 215 बच्चे अध्ययनरत हैं।
शिक्षक-शिक्षिकाएं की टीम भावना ने विद्यालय का बदला परिवेश, बढ़ाया विश्वास
प्रधानाध्यापक कुतुबुद्दीन की लगन से आज यह विद्यालय बहुत ही आकर्षक लग रहा है। कुछ वर्ष पहले अधूरे भवन में जहां ना तो दीवारें पूर्ण थी और ना ही प्लास्टर और फर्श का पता। ऐसे में शिक्षण कार्य करना किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन प्रधानाध्यापक के लगन, अथक प्रयासों के कारण, प्रधान के सहयोग से आज इस विद्यालय में कायाकल्प के लगभग सभी बिंदु संतृप्त कर लिया। यहां की पुष्प वाटिका, वृक्षारोपण, किचन गार्डन अपनी अलग ही पहचान बनाई है।
विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं एक टीम भावना के साथ कार्य करते हुए बच्चों को एक सहज शैक्षिक परिवेश प्रदान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। विद्यालय में शिक्षको का बच्चों के साथ बहुत ही अच्छा आत्मीय सम्बंध है, जो कि शैक्षिक स्तर के सुधार में अहम भूमिका निभाता है। विद्यालय में गतिविधि आधारित शिक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए, प्रार्थना सभा में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अनुशासनपूर्ण वातावरण में बच्चों में देशप्रेम की भावना को विकसित कर रहे हैं।
यूपीएस असौवा की बाल वाटिका में सज रहा नौनिहालों का बचपन
यूपीएस असौवा प्रधानाध्यापक कुतुबुद्दीन बताते है कि बदलते युग में शिक्षकों को वर्तमान शैली के अनुसार ही शैक्षिक प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इसमें अभिभावकों का भी अहम रोल है। शिक्षक खुद को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करें, इससे शिक्षा व्यवस्था में निश्चित बदलाव आएगा।
उन्होंने अपनी टीम के सहयोग से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, मनोरंजक खेल सामग्री, आकर्षक पुस्तकालय, रीडिंग कॉर्नर, सहानुभूतिभरा वातावरण दे रहे। विज्ञान व गणित किट के प्रयोग, गतिविधि आधारित शिक्षण कार्य से बच्चों में रुचि जागृत हो रही। यहां हाथ से बने हुए टीएलएम देखने को मिलेंगे, जो शिक्षण के बाला कॉन्सेप्ट पर आधारित हैं। निपुण भारत कार्यक्रम थीम पर प्रतिदिन सुबह प्रार्थना सभा, व्यायाम, स्वच्छता जांच आदि कार्य किए जा रहे। यहां के शिक्षक-शिक्षिकाओं का एक ही सपना है कि अध्ययनरत बच्चों का भविष्य उज्जवल कर सकें, उन्हें जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार कर सकें।