गया जिला के किसानों को फसल विविधिकरण के लिये प्रोत्साहित करने का सचिव, कृषि, विभाग द्वारा दिया गया निदेष
जिले में किए जा रहे लेमन ग्रास की खेती तथा मशरूम क्लस्टर का निरीक्षण सचिव कृषि विभाग द्वारा किया गया
गया जिला में क्रियान्वित हो रही कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग की योजनाओ की सचिव कृषि-सह-पशुपालन एवं मत्स्य संधाधन विभाग के द्वारा किया गया
गया। डा॰ एन॰ सरवन कुमार, सचिव, कृषि -सह- पषुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार की अध्यक्षता में गया संग्रहालय के सभाकक्ष में कृषि, पशुपालन, मत्स्य संसाधन एवं डेयरी विकास की समीक्षा किया गया है। पशुपालन विभाग की समाीक्षा कर गया जिला के सभी 56 पशुचिकित्सायलयों में दवाईयों की आपूर्ती ससमय करने का निर्देश दिया गया है इसके साथ ही पशु टिकाकरण, कृ़ित्रम गर्भादान के लक्ष्य की पूर्ती करने के लिये कहा गया है।
टीकाकरण एवं ईअर टैगिंग के कार्य में लगे व्यक्तियों को ससमय भुगतान करने का निदेष दिया गया है। मत्स्य विभाग की योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार करने को कहा है। जिला पशुपालन पदाधिकारी ने दवाईयों के लिये भण्डारण की व्यवस्था करने हेतु अनुरोध किया गया है।
कृषि विभाग की समीक्षा करते हुये कहा कि बिहान ऐप में डाटा सही से अपलोड करने के कारण फसल क्षति की भी सही जानकारी मिल रही है एवं सुखाड़ आदि की राहत के लिये किसानों को उचित तरीके से सहायता किया जा पा रहा है। चौथे कृषि रोड मैप के लिये सलाह एवं सुझाव की मांग की जिससे क्षेत्र विशेष के अनुसार योजनाये बनाकर उनका क्रियान्वयन किया जा सके।
सचिव ने गया जिला के बाराचट्टी प्रखण्ड के जयगीर पंचायत के अंजनिया टांड में श्रीमती मन्जू देवी के द्वारा 15 एकड़ से अधिक क्षेत्र की जा रही लेमनग्रास की खेती का निरीक्षण किया गया है इसके साथ ही बाराचट्टी के ही रोही पंचायत के सोभ ग्राम में मषरुम ग्राम में रिन्कू देवी एवं ममता देवी आदि के द्वारा किये जा रहे मषरुम उत्पादन को देखा एवं जानकारी लिया गया है।
गया की जलवायु में फसल विविधिकरण अपनाकर किसान अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। लेमन ग्रास के साथ ही पौष्टिक अनाज जैसे मड़ुआ, रागी आदि की खेती करने के लिये किसानों को प्रोत्साहित करने को कहा गया है। इसके साथ ही गया के तिलकुट के लिये तिल की खेती को बढ़ावा देने के लिये योजना बनाने का निर्देश दिया गया है। उन्होने गया जिले में फसल विविधिकरण के साथ ही सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली टपक सिचांई और स्प्रीकंलर सिंचाई लगाने हेतु किसानों को प्रोत्साहित करने को कहा है।
भूमि संरक्षण विभाग के कार्यक्रमों को स्थानीय जलछाजन समिति के माध्यम से ही पूरा कराने को कहा बाहर की एजेन्सियों एवं व्यक्तियों को इससे दूर रखने का निर्देश दिया है। सरकार लगातार पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उनपर कार्रवाई कर रही है। किसानों को यह समझाना होगा की पराली को जलाने से ने सिर्फ पर्यावरण और उनके स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है अपितु उनकी मिट्टी का ऊपजाउपन भी नष्ट होता है। गया जिला के पदाधिकारियों एवं कर्मियों को 30000 से अधिक किसानों के घरों तक होम डिलीवरी के माध्यम से बीज वितरित करने के लिये बधाई दिया है।
सचिव के साथ जिला पदाधिकारी, गया डा॰ त्यागराजन एस॰ एम॰ भी बाराचट्टी प्रखण्ड में लेमनग्रास की खेती एवं मषरुम गॉव में हो रहे मषरुम उत्पादन को देखने के लिये उपस्थित थे। जिला पदाधिकारी ने लेमनग्रास की खेती के लिये नये क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव देने का निदेष दिया एवं मषरुम के विपणन को उचित दर पर सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
गया संग्रहालय की बैठक में रतन कुमार भगत, संयुक्त निदेशक, शष्य, मगध प्रमण्डल, गया सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी, गया महेन्द्र प्रताप सिंह, उप निदेशक, शष्य, सामान्य, रवीन्द्र कुमार, उप निदेशक, पौघा संरक्षण पवन कुमार, उप निदेषक, उद्यान सतीष कुमार, उप निदेशक, रसायन, मिट्टी जॉच, मगध प्रमण्डल, नीरज कुमार वर्मा, उप परियोजना निदेशक, अजय कुमार सिंह, उप परियोजना निदेशक, शषंक कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान, अविनाष कुमार, सहायक निदेशक, शष्य, भूमि संरक्षण, गया, गुड्डू कुमार, सहायक निदेषक, कृषि अभियंत्रण, मगध प्रमण्डल, ई॰ न्यूटन कुमार, सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण, सभी अनुमण्डल, कृषि पदाधिकारी, सभी प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक एवं पषुपालन एव मत्स्य विभाग के प्रमण्डल, जिला एवं प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारियों ने बैठक में भाग लिया गया है।