गम्हरिया। आनंदमार्ग प्रचारक संघ की ओर ऑनलाइन माध्यम से विश्व स्तरीय तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में सरायकेला, खरसावां, सीनी, कांड्रा, गम्हरिया, आदित्यपुर, चांडिल एवं उसके आसपास के क्षेत्रों से दो हजार से अधिक आनंदमार्गियों ने भाग लिया। धर्म महासम्मेलन का शुभारंभ आनंदमार्ग प्रचारक संघ के गुरु निवास मधु मंजूषा ने किया। इस मौके पर मुख्य रूप से उपस्थित पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि कामनाओं के विसर्जन से ही परमाशांति का पथ प्रशस्त होता है। कामना ही आसक्ति का कारण है और आसक्ति ही दुख, व्यथा, कष्ट एवं पीड़ा का मूल है। इसलिए सजग कर्मयोगी कर्म के द्वारा परम पुरुष से संबंध स्थापित करते हैं। ऐसे कर्मयोगी के लिए ही शास्त्र में युक्त शब्द का प्रयोग किया गया है। जो कर्मयोगी फलआकांक्षा, कर्मफल, कर्माभिमान आदि त्याग कर सब कुछ परम पुरुष के चरणों में अर्पित कर देता है ऐसे कर्मयोगी को ही निष्काम कर्मयोगी की संज्ञा दी जाती है। निष्काम कर्मयोगी परा भक्ति के भाव में रत रहकर परम पुरुष का कर्म समझ कर निरंतर कार्य करते रहते हैं। ऐसे साधक परमाशांति को प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सदैव कर्म योग के लिए चेष्टाशील रहना चाहिए और यह सब संभव तब हो सकता है जब मनुष्य नैतिकता को आधार मानकर योग का अभ्यास करें।