जमुई बिहार ।चुन्ना कुमार दुबे । वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए बरगद की पूजा एवं परिक्रमा करती हैं वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को रखा जाता है इस साल यानी 2022 में वट सावित्री व्रत की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है व्रत रखने वाली महिलाओं को यह नहीं समझ में आ रहा है कि वट सावित्री व्रत 29 मई को रखें या फिर 30 मई को मान्यता है कि वट सावित्री व्रत रखने और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी का विधि विधान पूजन से अखंड सौभाग्य सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की प्राप्ति का वरदान मिलता है। इसके साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा सावित्री सत्यवान और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है वट वृक्ष के साथ विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा भी सुनने की परंपरा है हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई दिन रविवार को अपराह्न 02 : 54 बजे से हो रहा है और इसका समापन अगले दिन यानी 30 मई सोमवार को संध्या 04 : 59 बजे होगा धर्मशास्त्र के मुताबिक व्रत में उदया तिथि पर ही विचार किया जाता है इसलिए वट सावित्री व्रत के लिए अमावस्या की उदया तिथि ही स्वीकार की जाएगी चूंकि सूर्योदय के समय अमावस्या की तिथि 30 मई को पड़ रहा है और इसका समापन इसी दिन संध्या 04 : 59 बजे हो रहा है इसलिए वट सावित्री व्रत के लिए यह दिवस ही उपयुक्त रहेगा सर्वविदित है कि ज्येष्ठ अमावस्या यानी 30 मई को ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी प्रातः 07: 12 बजे से लग रहा है जो पूरे दिन रहेगा। अतः इस दिन सावित्री व्रत पूजन अतिपुण्य फलदायी होगा