कुतुबमीनार की सच्चाई जानने के लिए होगा अध्ययन

अब कुतुबमीनार की सच्चाई आएगी सामने , अध्ययन के लिए परिसर में खोदाई करेगी एएसआई टीम
हिंदू मूर्तियां दबे होने का दावा

जमुई बिहार।संवाददाता।चुन्ना कुमार दुबे। कुतुबमीनार को लेकर उपजे विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को इसकी सच्चाई पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। कुतुबमीनार पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने करीब दो घंटे तक कुतुबमीनार का निरीक्षण करने के दौरान इस बारे में एएसआइ को कई अहम दिए निर्देश सचिव के मुताबिक कुतुबमीनार परिसर में कुव्वत उल – इस्लाम मस्जिद पर लगीं हिंदू मूर्तियों के बारे में पर्यटकों को जानकारी देने के लिए कल्चरल नोटिस बोर्ड लगाए जाएंगे इसके साथ ही कुतुबमीनार परिसर में खोदाई होगी जिसमें जमीन में दबे मंदिरों के अवशेषों के बारे में भी पता लगाया जाएगा जानकारों ने अपने शोध और खोज के आधार पर बताया था कि कुतुबमीनार सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक वाराहमिहिर की वेधशाला थी इसकी दीवारों पर स्पष्ट रूप से दिखती कमल वंदनवार और लटकती घंटी की आकृति हिंदू संस्कृति के प्रतीक हैं इस विवाद ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा के बयान के बाद तूल पकड़ा है जिसमें उन्होंने इस कुतुबमीनार को सूर्य स्तंभ के नाम से एक वेधशाला बताया है। उनके अनुसार इसे कुतुबद्दीन ऐबक ने नहीं उससे 700 साल पहले राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने आचार्य वाराहमिहिर के नेतृत्व में बनवाया था कई अन्य शोधकर्ता भी यही बात दोहराते हैं शोधकर्ताओं के प्रतिवेदन के आधार पर एएसआई ने कुतुबमीनार कम्प्लेक्स के खोदाई का निर्णय लिया है

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