पाटन/ छत्तीसगढ़ भाजपा विधायक दल के स्थायी सचिव जितेंद्र वर्मा ने कहा है कि स्कूल के छात्रों का परीक्षा ऑफलाइन लिया गया और अब कॉलेज की परीक्षा ऑनलाइन लेना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तुगलकी फरमान है। साफ तौर पर स्कूल के बच्चों के साथ नाइंसाफी है। प्रदेश में अभी कोरोना की स्तिथि सामान्य है इसके बावजूद ऑनलाइन परीक्षा लेना राज्य सरकार के षड्यंत्र का हिस्सा है। श्री वर्मा ने कहा कि कांग्रेस के छात्र संगठन एन एस यु आई के दबाव में आकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फैसला लेना पड़ा। राज्य सरकार का यह कृत्य मासूम बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार है। जब नर्सरी से लेकर बारहवीं तक के छात्रों की परीक्षा ऑफलाइन ली गई तब कोरोना की स्तिथि में थोड़ा सुधार हुवा था लेकिन अब जब स्तिथि नियंत्रण में है तब कॉलेज की परीक्षा ऑनलाइन लेना समझ से परे है। छत्तीसगढ़ ने कोरोना का दंश जो झेला हैं उसके जिम्मेदार स्वयं इस प्रदेश के सरकार है उन्होंने गलत समय में गलत फैसला लिया।कोरोना वैश्विक महामारी हिंदुस्तान ही नही जब पूरे विश्व में चरम सीमा में था कोई देश क्रिकेट मैच कराने की स्थिति में नही था इससे भारत देश भी शामिल हैं। देश का कोई भी राज्य क्रिकेट का आयोजन करने के लिए तैयार नहीं था ऐसे समय में इस प्रदेश के मुख्यमंत्री ने रायपुर के परसदा स्टेडियम में ट्वेंटी ट्वेंटी रोड सेफ्टी क्रिकेट मैच का आयोजन कराया जिसके चलते देश और प्रदेश के बाहर के आए हुए खिलाड़ी भी कोरोना से संक्रमित हुए।उसके बाद पूरे छत्तीसगढ़ में कोरोना का संक्रमण इतना भयंकर था जिससे सोचने मात्र से ही रूह कांप उठती है। इस भयंकर कोरोना संक्रमण के दोषी क्रिकेट का आयोजन करने वाले थे। उस समय भी गलत निर्णय लिया गया और आज सिर्फ वोट की राजनीति के चलते छत्तीसगढ़ के हमारे नौजवान भाई और बहने जो इस प्रदेश का आने वाला भविष्य हैं उनकी ऑनलाइन परीक्षा लेकर गलत रास्ता दिखाया जा रहा हैं ।यह समय उन लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेकर आगे का भविष्य उज्ज्वल करने का समय है ।जितना ज्यादा अध्ययन करेंगे वह उतने ही योग्य और छत्तीसगढ़ के भविष्य के निर्माता बनेंगे उन लोगों को आज फिर से गलत रास्ता दिखाया जा रहा है। राज्य सरकार के इस निर्णय से साफ हो गया है कि वे अपने मनमर्जी से कभी भी कोई फैसला ले सकते हैं। छोटे बच्चों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था तब उस समय छोटे बच्चों की जिंदगी दांव पर लगाकर ऑफलाइन परीक्षा ली गई। राज्य सरकार कभी भी बिना सोचे समझे कुछ भी फैसला ले सकती है। यह सरासर अन्याय है। राज्य सरकार को चाहिए था कि स्कूली बच्चों की परीक्षा ऑनलाइन लेना था लेकिन यहाँ तो उल्टी गंगा बह रही है। सरकार के इस निर्णय से यह स्पस्ट हो गया है कि हम तुगलकी फरमान के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। कांग्रेस के छात्र इकाई के दबाव में लिया गया यह निर्णय सरकार की नादानी और अपरिपक्वता को उजागर करता है। जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है शिक्षा एवं स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और किसानों के साथ साथ युवाओं के साथ अन्याय जारी है।