सीएम नीतीश ने मनीष वर्मा को बनाया अतिरिक्त परामर्शी

पटना और पूर्णिया के डीएम रह चुके हैं मनीष

मुई , बिहार / संवाददाता / चुन्ना कुमार दुबे / बिहार में राजनीति के कई प्रयोग देखने को मिलते हैं। लेकिन इसके समानांतर पावर कॉरिडोर को कैसे हैंडल किया जाये , इसका प्रयोग भी देखने को खूब मिलता है। इसी पावर कॉरिडोर को हैंडल करने को लेकर अचानक से सीएम नीतीश चर्चा में आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने अपने नजदीकी रिश्तेदार मनीष वर्मा को मुख्यमंत्री का अतिरिक्त परामर्शी नियुक्त किया है , जो पटना में डीएम थे। अब इन्हें सीएम के किचन कैबिनेट में जगह मिल गई है। गौरतलब है कि मंगलवार को आहूत नीतीश कैबिनेट की बैठक में एक बड़ा निर्णय लिया गया था। इस मीटिंग में बिहार विकास मिशन के तहत मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी के पद के सृजन के संबंध में स्वीकृति दी गई थी। इस पद के बनाये जाने के बाद तरह – तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी। चर्चा हो रही थी कि सीएम नीतीश इस पद पर अपने नजदीकी रिश्तेदार और कभी पटना के डीएम रहे मनीष वर्मा को ही सेट करने की तैयारी में हैं। अब इसकी अधिसूचना जारी कर इस चर्चा को सच्चाई में बदल दिया गया है।
अंतःपुर के नारद मुनि के मुताबिक नीतीश कुमार के गृह जिले के रहने वाले 2000 बैच के आईएएस रहे मनीष वर्मा को सीएम के अतिरिक्त परामर्शी के रूप में तैनात करने की बात साफ हो चुकी है। बिहार में वे कई बड़े पदों पर रह चुके हैं। वे काफी तेज – तर्रार पदाधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। एक अप्रैल 1974 को जन्मे मनीष वर्मा साल 2000 में आईएएस बने थे। इन्होंने ओडिशा कैडर चुना था। मूल रूप से बिहार के नालंदा के रहने वाले मनीष को सबसे पहले कालाहांडी का सब कलेक्टर बनाया गया था। इसके बाद गुनपुर और रायगड़ा में वे एसडीएम के पद पर रहे। नौकरी के पांच साल बाद सबसे पहली बार इन्हें ओडिशा के मलकानगिरी जिले में डीएम बनाया गया था। यहां मनीष तीन साल तक डीएम रहे और फिर इनका तबादला कर दिया गया। एक दो विभागों में रहने के बाद मनीष को अगले साल 2009 में बालेश्वर का डीएम बना दिया गया। दो साल बाद यहां से भी इनका तबादला कर दिया गया। साल 2012 में आईएएस मनीष वर्मा ने ओडिसा छोड़ दिया और वहां से इंटर स्टेट डेपुटेशन पर 05 साल के लिए बिहार आ गए। बिहार आते ही इन्हें कई बड़ी जिम्मेदारियां दी गई। इन्हें पूर्णिया और पटना का डीएम भी बनाया गया था। पटना के तत्कालीन डीएम डॉ. एन. सरवण कुमार के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद मनीष को यहां का जिलाधिकारी बनाया गया था। यह बात लगभग 08 साल पहले 2014 की है। जब 05 साल की प्रतिनियुक्ति पूरी हुई तो इन्हें एक साल के लिए और बिहार में ही डेप्यूट किया गया। भारत सरकार के मंत्रीमंडलीय नियुक्‍ति समिति द्वारा 23 मार्च 2018 को इससे संबंधित पत्र जारी किया गया। लेकिन जब बिहार से वापस ओडिशा जाने की बात हुई तो मनीष ने वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया और इन्होंने नौकरी छोड़ दी।
बिहार में प्रतिनियुक्ति के बाद ऐच्छिक सेवानिवृति यानी कि वीआरएस लेते ही मनीष कुमार वर्मा को बिहार सरकार में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का सदस्य मनोनीत कर दिया गया। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक पदग्रहण करने की तिथि से 05 वर्ष या अगले आदेश तक जो पहले पूरा होगा , वे प्राधिकरण के सदस्य बने रहने की बात कही गई। बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा मनोनयन की अधिसूचना जारी की गई थी।
बिहार में रहने के दौरान मनीष वर्मा कई अहम पदों पर रहे। पटना और पूर्णिया में डीएम रहने के अलावा इन्हें मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी तैनात किया गया था। साल 2017 से 2021 तक मनीष इस जिम्मेदारी को भी बखूबी से संभालते रहे। अंतर राज्य प्रतिनियुक्ति के आखिरी साल में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सचिव रहे मनीष कुमार वर्मा को योजना एवं विकास विभाग का सचिव बनाया गया था।
इसके अलावा मनीष कुमार वर्मा को परियोजना निदेशक , बिहार आपदा पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण सोसाइटी और बिहार राज्य योजना पर्षद के सचिव का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। तब नीतीश सरकार ने 1989 बैच के आईएएस अधिकारी और योजना एवं विकास विभाग के प्राधन सचिव रहे डॉ. दीपक प्रसाद का तबादला कर बिहार राज्य योजना पर्षद के परामर्शी के रूप में तैनात किया था। अब सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें अपना अतिरिक्त परामर्शी नियुक्त किया है। जानकार इन्हें सीएम नीतीश के साथ 22 साल तक साए की तरह रहने वाले आईएएस चंचल कुमार का विकल्प बता रहे हैं।

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