ऐतिहासिक नदी कतरी का अस्तित्व आया खतरे में

झारखण्ड / झरिया (असलम अंसारी) धनबाद सुंदरलाल बहुगुणा एक महान पर्यावरण चिंतक और साथ में टीहरी बांध निर्माण के विरुद्ध आंदोलन चलाने वाले चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता थे । जिन्होंने नदियों को बचाने के लिए अनवरत अपना आंदोलन चलाकर लोगों को और सरकार को जागरूक करने का काम किया।

आज एक पाइप बनाने वाली फैक्ट्री के कारण कोयलांचल की प्रमुख नदियों में से एक कतरी नदी जिसके नाम पर कतरास का नाम कतरास पड़ा उसका अस्तित्व खतरे में है।

प्राचीन काल में जब राजा महाराजा बड़े-बड़े शहर बसाते थे तो संभवत बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे बसाते थे, क्योंकि पानी ही मनुष्य के जीवन का मुख्य स्रोत है। और नदियों पर प्राकृतिक संसाधनों पर सीधे तौर पर सरकार का अधिकार होता है और बिना सरकार से पूछे इनके साथ छेड़छाड़ करना गैर कानूनी अपराध है।

बताते चलें कि कतरास राजगंज मुख्य मार्ग कांको हिल स्कूल के पास स्थित एक दंत पॉलीट्यूब एवं अविष्कार पाइप एंड फिटिंग कारखाना जो प्लास्टिक के पाइप का निर्माण करता है अपना सारा कचरा कतरी नदी में प्रवाहित करता है। जिसके कारण नदी का जल और नदी एवं नदी पर निर्भर रहने वाले मनुष्य और जानवर का जीवन प्रदूषित और प्रभावित हो रहा है।

जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग कान में तेल डालकर सोया है इस गंभीर समस्या पर ना तो जिला प्रशासन का ध्यान जा रहा है और ना ही प्रदूषण विभाग कभी देखने के लिए आते हैं कि क्षेत्र में कहां क्या हो रहा है ऐसी स्थिति में इस तरह से नदियों को प्रदूषित कर अपने जेब भरने वाले कारखाने मालिकों का मनोबल और भी बढ़ जाता है। फैक्ट्री द्वारा नदी में डाला गया कचरा लिलोरी मंदिर एवं सूर्य मंदिर तक पहुंच जाता है— एकदंत पॉलीट्यूब एवं अविष्कार पाइप एंड फिटिंग पाइप बनाने वाली फैक्ट्री का कचरा जो कतरी नदी में डाला जाता है वह नदी की जलधारा के साथ बहते बहते कतरास का प्रमुख धार्मिक केंद्र लिलोरी स्थान मंदिर एवं सूर्य मंदिर तक पहुंच जाता है उससे भी आगे या खड़ा तेल माचो दामोदर नदी में जाकर मिल जाता है और दामोदर नदी को भी प्रदूषित कर रहा है।

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