धनबाद। किसानों के लिए नया कृषि बिल किसानों को पूंजीपतियों के लिए बंधक और अन्न का गोदाम पूंजीपतियों को सौंपने का काला कानून वस्तुतः भूख का व्यापार करने जैसा है। उक्त बातें राहुल गांधी विचार मंच के धनबाद जिलाउपाध्यक्ष ऋतिक सिन्हा ने कही।
ऋतिक सिन्हा ने कहा कि खाद्यान वस्तु को आवश्यक वस्तु से बाहर कर आमलोगों को भूख के बाजार में खड़ा कर दिया है। भंडारण की सीमा खत्म कर अन्न को गोदामो में जमा करने की छूट देकर सरकार भूख का व्यापार कर रही जिससे गरीबो को रोटी तक नही मिलेगी और आम लोग महंगाई के भार तले दबते चले जायेंगे।
ऋतिक सिन्हा ने कहा कि देश के अंदर पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के किसान आंदोलन पर बैठे हैं और पूरा देश से किसानों को समर्थन दिया जा रहा है। कांग्रेस भी किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रही है। देश की अर्थव्यवस्था में किसानों की भूमिका को नजरअंदाज कर सरकार किसानों को पूंजीपतियों के पास बंधक बना अन्न के गोदामो पर कब्जा करना चाहती है। यह देश के लिए काला कानून है और इसे हर हाल में वापस लेना चाहिए और देश के करोड़ो करोड़ लोगों के लिए रोटी को स्वतंत्र रखना चाहिए। रोटी पर पावंदी किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए नासूर साबित होगा। भाजपा सरकार को अविलंब कृषि बिल को वापस लेना चाहिए और जो योजना सरकार धरातल पर लाना चाहती है पहले किसानों व देश की जनता को विश्वास में लेना होगा। हड़बड़ी में लिया गया फैसला नोटबन्दी, जीएसटी जैसा होगा जो देश के अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर देगा।