लेखक: प्रो. डॉ. मो. तनवीर यूनुस (विभगाध्यक्ष , एम.एड. विभाग, विनोबा भावे विश्वविद्यालय,धनबाद) एवं डॉ. मो. अरसाद अंसारी
प्रकाशक: रेनोवा इंटरनेशनल पब्लिकेशन , न्यू दिल्ली
समीक्षक- डॉ रामचंद्र कुमार , सहायक प्राध्यापक ,शिक्षा विभाग, आर.एस.पी.कॉलेज,झरिया ,धनबाद
झरिया | प्रो. डॉ. मो. तनवीर यूनुस और डॉ. मो. अरसाद अंसारी द्वारा लिखित यह पुस्तक भारतीय शिक्षक शिक्षा प्रणाली के वर्तमान परिदृश्य, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की संभावनाओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है |
एक सौ छियासी पन्नों की यह पुस्तक जिसमे कुल 10 अध्याय है शिक्षक प्रशिक्षण के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझने और उनकी समस्याओं व समाधान का विस्तृत विश्लेषण करती है. पुस्तक का पहला अध्याय शिक्षक शिक्षा की बुनियादी परिभाषा और महत्व को समझाने पर केंद्रित है. इसमें शिक्षकों की भूमिका, उनके प्रशिक्षण की आवश्यकता और इसकी प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया गया है. वहीँ दुसरे अध्याय में भारतीय शिक्षक शिक्षा प्रणाली के विकास का ऐतिहासिक विश्लेषण है, जो प्राचीन भारत से लेकर वर्तमान समय तक शिक्षक शिक्षा में आए बदलावों को दर्शाता है।
जबकि तीसरे अध्याय में लेखक ने तकनीकी प्रगति और डिजिटल युग में शिक्षक शिक्षा में हुए परिवर्तनों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है. ऑनलाइन शिक्षा, नवीन शिक्षण विधियों और डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग का विश्लेषण करते हुए यह अध्याय भविष्य की संभावनाओं की ओर इशारा करता है. इसी प्रकार चौथे अध्याय में शिक्षा प्रणाली की समस्याओं, जैसे प्रशिक्षकों की कमी, संसाधनों का अभाव और नीतिगत असमानताओं को गहराई से समझाया गया है |
पुस्तक के अन्य अध्याय, जैसे अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण में पाठ्यक्रम के महत्व और शिक्षण को पेशे के रूप में विकसित करने पर केंद्रित हैं. पाठ्यक्रम को कैसे समकालीन जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा सकता है, इस पर लेखक ने उपयोगी सुझाव दिए हैं. इसी प्रकार एक एनी अध्याय में कक्षा प्रबंधन के व्यावहारिक पहलुओं की चर्चा की गई है, जिसमें शिक्षकों को कक्षा में अनुशासन बनाए रखने और छात्रों की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके. लेखकों ने अपने शोध और अनुभव के आधार पर शिक्षक शिक्षा प्रणाली के लिए व्यवहारिक सुझाव भी प्रस्तुत किए हैं। उनकी लेखन शैली सरल, प्रभावशाली और तथ्यों पर आधारित है, जिससे यह पुस्तक शिक्षकों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के लिए एक अनमोल संसाधन बन जाती है।
यह पुस्तक भारतीय शिक्षक शिक्षा प्रणाली के ऐतिहासिक, सामाजिक और नीतिगत आयामों को समझने में मदद करती है। शिक्षक प्रशिक्षण के महत्व और उससे जुड़ी समस्याओं को सटीकता से उजागर करते हुए लेखक ने इसके सुधार के लिए विचारशील और व्यावहारिक सुझाव दिए हैं। सरल भाषा और व्यापक दृष्टिकोण के कारण यह पुस्तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हर व्यक्ति के लिए उपयोगी और पठनीय है।