हिंदी दिवस पाक्षिक पूर्व कार्यक्रम के छठे दिन चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ रामाशीष सिंह याद किए गए


औरंगाबाद | जिला मुख्यालय औरंगाबाद की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के तत्वावधान में 14 सितंबर हिंदी दिवस पाक्षिक पूर्व कार्यक्रम के निमित छठे दिन औरंगाबाद के महान साहित्यकार एवं प्रख्यात चिकित्सक डॉ रामाशीष सिंह जी के द्वारा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में किए गए |

उल्लेखनीय कार्यों को याद किया गया।जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र,महामंत्री धनंजय जयपुरी,के आह्वान पर डॉ रामाशीष सिंह के साहित्य पर संवाद करते हुए संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने कहा कि औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के स्थापना काल से ही डॉ साहब संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे।

संस्था के द्वारा विभिन्न पत्रिकाओं को लोकार्पण कराने में उनकी सर्वाधिक सहभागिता होती थी। वे चिकित्सक के साथ-साथ स्वयं भी एक साहित्यकार के रूप में जाने जाते थे। उनके द्वारा रचित अनुभव के रंग एवं मोहक संसार की यही कहानी दो भागों में जिला हिंदी सहित सम्मेलन द्वारा प्रकाशित हो चुकी है।ये दोनों ही संस्मरण साहित्य हिंदी साहित्य के अनमोल कृतियां में से एक हैं इन्हें जानने समझने के लिए लोगों ने हिंदी भाषा को अपनाया।हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अखंड बिहार के दौर में जब चिकित्सक की सेवा में थे तो झारखंड के सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में जाकर लोगों का इलाज किया करते थे और उनके द्वारा जो अनुभव जीवन में पाया उसे साहित्य के रूप में इन्होंने पिरोया पूरे जीवन के संघर्ष को इन्होंने अद्भुत तरीके से साहित्य में लोगों को परोसा है।औरंगाबाद जिले में कई शिक्षालियों के स्थापना में भी इनकी भूमिका रही है।मृत्युपर्यंत शिक्षा,चिकित्सा,साहित्य एवं समाज के लिए इन्होंने सब कुछ समर्पण कर दिया था।

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