झरिया |अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति के अवसर पर आज लोदना स्थित यमुना सहाय स्मृति भवन के प्रांगण में सीपीआई(एम) झरिया लोकल कमिटी के संग CITU और DYFI के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राज्य कमिटी के वरिष्ठ साथी कामरेड सुरेश प्रसाद गुप्ता ने भारत छोड़ो आंदोलन और अगस्त क्रांति के संदर्भ में विस्तृत चर्चा की और और 1857 के सिपाही विद्रोह के बारे में भी विस्तृत चर्चा की।
तथा 1857 की क्रांति भारत की आजादी के लिए पहले। पहली क्रांति की इसलिए लगातार लंबे संघर्षों के पास आजादी 47 में मिली लेकिन 45 से लेकर अब तक देश की जो स्थिति है। जो राजनीतिक परिस्थितियों सामाजिक परिस्थितियों तथा आर्थिक परिस्थितियों से पूरा देश और सहज महसूस कर रहा है।
आजादी के पश्चात वर्तमान विश्व पूंजी और कॉरपोरेट आवारा पूंजी के चंगुल में देश अर्थव्यवस्था की विषम परिस्थितियों में संघर्ष कर रहा है। आज एक दूसरी आजादी की तलाश में देश के मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान, महिलाएं एकजुट होकर इस ऐतिहासिक संघर्ष को पुनः स्थापित करने की और हमें संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
और अपने जन संगठनों और पार्टी की दिशा निर्देश के अनुसार नए संघर्ष को आंदोलन आत्मक स्वरूप देकर समाजवाद और साम्यवाद की दिशा में अग्रसर होने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी के पूर्व भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री कामरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य के आकस्मिक निधन पर उपस्थित सभी साथियों ने शहरी शोक संवेदना प्रकट करते हुए श्रध्दांजली अर्पित किए। साथ ही धनबाद लोकल कमिटी के साथी कामरेड के डी सिंह के निधन पर भी शोक प्रकट करते हुए श्रध्दांजली दी।
वक्ताओं में DSMM राष्ट्रीय सदस्य कामरेड शिवबालक पासवान, जनवादी लेखक संघ के प्रोफेसर नारायण चक्रवर्ती,DYFI के जिला सचिव कामरेड नौशाद अंसारी, रामवृक्ष धारी, शंकर पासवान, प्रजा पासवान, धर्मराज धारी, मोहन भुइंया, उमेश पासवान, विनोद धारी, भोला माली, सोनू दास, रोशन खान, विनोद पासवान, भोला पासवान, जयद्रथ, कपिल पासवान, राजेश पासवान, अशोक बनर्जी, श्याम सुंदर, सुरेश भुंइया,बासु बावरी सहित सैकड़ो साथी उपस्थित थे।