संथाल परगना में आदिवासी समाज की घटती आबादी की जांच एस आई टी गठित कर कराई जाए : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी

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रांची : पूर्व मुख्य मंत्री व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखा है ।श्री मरांडी ने पत्र में लिखा है की आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि संथाल परगना में आदिवासी समाज की आबादी लगातार घट रही है। संथाल परगना, जो यहां रहने वाले आदिवासियों के लिए भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है जिसकी पहचान यहां के आदिवासी समाज की पहचान का एक हिस्सा रही है।

लेकिन हाल के दशकों में इस क्षेत्र में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बांग्लादेशी घुसपैठियों के अवैध प्रवास के कारण यहाँ का समाज अपने अस्तित्व और संसाधन बचाने में लगा है। घुसपैठिए तेजी से यहां बस रहे हैं और आदिवासी समाज की जल, जंगल व जमीन को खतरा पहुंचा रहे हैं, तथा अपने आपराधिक कृत्यों से माताओं, बहनों और बच्चों को प्रताड़ित कर रहे हैं। यहाँ तक कि बंगलादेषी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी समाज की बहनों को लोभ-लालच एवं डरा धमका के जबरन शादी कर इनकी जमीन को कब्जा कर रहे हैं।

इस सम्बन्ध में आए दिन समाचार पत्रों में इस तरह की खबरें प्रकासित होती रहती है। उन्होने लिखा है की इस तरह की घटनाओं की सूचना आपको भी होगी।
वर्ष 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या जहाँ 44.67% थी वहीं आज यह घटकर मात्र 28.11% ही बची है, ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब संथाल परगना में संथाल ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे, तथा आदिवासियों के नाम से जाना जाने वाला यह संथाल परगना अपनी पहचान खो देगा।

अनुमानित आंकड़ों के आधार पर स्पष्ट रूप से संथाल परगना में यह बात परिलक्षित होती है कि वर्ष 2021 जनगणना में आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में ज्यादा अंतर नहीं रहने की संभावना है या ये भी कह सकते हैं कि वर्ष 2021 जनगणना में ही आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या लगभग बराबर हो गई है।

इस बात का अंदेषा पूर्व से ही लगाया जा रहा है और वह सच साबित होता दिख रहा है। इस पत्र के साथ उदाहरण के तौर पर केन्द्र सरकार द्वारा किए गए जनगणना से संथाल परगना क्षेत्र के अधिकारिक आँकड़े संकलित किए गए है, जो आपके द्रष्टव्य हेतु संलग्न है।

वर्ष 2031 जनगणना के अनुमानित आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि मुस्लिम समाज की आबादी आदिवासी समुदाय से ज्यादा हो जाएगी। इस तहर आदिवासी समुदाय के लिए खतरे की घंटी बजने वाली है। वर्ष 2001 और वर्ष 2011 की रफ्तार से यदि मुस्लिम जनसंख्या बढ़ती रही तो अनुमानित आंकड़ों के अनुसार संथाल परगना में मुस्लिम बिरादरी की आबादी आदिवासी समुदाय से ज्यादा होगी, जो काफी चिन्ताजनक है।

श्री मरांडी ने पत्र में लिखा है की उक्त गंभीर एवं संवेदनशील विषय को संज्ञान में लेते हुए एस आई टी का गठन कर जाँच कराने की अनुशंसा करें, जिससे आदिवासी समाज की घटती आबादी के पीछे का रहस्य उजागर हो सके।

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