किसानों नर नारी फसल के उत्पादन के माध्यम से अधिक लाभ अर्जित कर रहे

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बालोद/छतीसगढ़/ किसान अब परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक तरीके से कर रहे खेती,अब जिले के किसान नर नारी धान (संकर धान बीज उत्पादन) को प्राथमिकता दे रहें हैं इसी के तहत आज जिला बालोद  छतीसगढ़ में भी अंचल के किसान परंपरागत खेती से हटकर अब इस आधुनिक तरीके से नए किस्मों के धान का उत्पादन कर रहे हैं इससे अच्छी पैदावार के साथ-साथ प्रति एकड़  अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।

आपको बताते चलें -दरअसल नर-नारी धान की खेती ने किसानों की तकदीर बदल दी है। इस सत्र बालोद क्षेत्र के किसानों नर नारी फसल के उत्पादन के माध्यम से अधिक लाभ अर्जित किया है जिसमे क्षेत्र के ओरमा, बेलमांड, नवागांव सहित गुरूर क्षेत्र के किसान शामिल है पहले 100 एकड़ से शुरू हुआ यह फसल उत्पादन अब पूरे छत्तीसग़ढ के धमतरी बालोद महासमुंद रायपुर दुर्ग गरियाबंद कांकेर में लगभग 35 हजार एकड़ तक पहुंच गया है ,नर नारी फसल के उत्पादन से किसानों की तकदीर बदल रही है।

 गंभीर राम साहू(,किसान) धान की प्रजाति के ऊपर उसका मूल्य निर्धारित  रहता है, तथा धान  स्वयं कम्पनी ले जाती है, बेचने के लिए कहीं भटकने की आवश्कता नहीं होती।किसानों को इस खेती के लिए समय समय से कर्मचारियों के माध्यम से दिशानिर्देश दिया जाता हैं।

धनी राम साहू,(किसान) इस फसल के उत्पादन के लिए 15 दिन तक अलग-अलग कतार में लगे नर व नारी के पौधे की बाली आने के बाद अनिवार्य रूप से क्रांसिग किया जाता है। तापमान 30 से 35  डिग्री तक होनी चाहिए इस धान के उत्पादन के लिए अनुकूल रहता है

बालोद जिले के ग्रामीण आंचल में हीरापुर सांकरा पड़कीभाट बेलमांड, ओरमा के किसान संकर धान बीज उत्पादन से सामान्य धान की अपेक्षा अधिक दोगुना लाभ ले रहे हैं।ग्राम बेलमांड के कई  जागरूक किसान इस बार रबी सीजन में पारंपरिक किस्म की बजाय महीको कम्पनी से जुड़कर  ‘नर-नारी‘  की फसल लगाई है।

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