गया। बिहार प्रदेश बुनकर कल्याण संघ के तत्वाधान में संत शिरोमणि , युग प्रवर्तक संत , समरसता एवं समतामूलक समाज के पक्षधर , सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन जागरण करने वाले अद्वितीय रचनाकार संत कबीर दास जी की 626वीं जयंती पर उन्हें बुनकर नगरी मानपुर पटवाटोली में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें याद किया गया है।
उनके विचारों एवं आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया गया है। सर्वप्रथम उनके चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया है। इस अवसर पर गोपाल प्रसाद पटवा अध्यक्ष बुनकर संघ ने कहा उनके विचार अब और अधिक प्रासंगिक हैं। संत कबीर अनूठे हैं प्रत्येक के लिए उनके द्वारा आशा का द्वार खुलता है।
कबीर दास जी जीवनभर गृहस्थ रहे। कर्म से बुनकर जुलाहे रहे हैं। हस्तकरघा से कपड़े बुनते रहे और बेचते रहे हैं। संत कबीर कहते हैं झीनी -झीनी बुनी चदरिया है। उन्होंने कभी किसी ग्राहक को राम के सिवा और दूसरा कोई संबोधन नहीं किया। संत कबीर कभी घर छोड़कर हिमालय नहीं गए और परमात्मा को पा गए है।
बुनकर संघ अध्यक्ष गोपाल प्रसाद पटवा ने संत कबीर जयंती पर बुनकरों कामगारों व मानपुर वाशियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कबीरदास एक संत व राष्ट्रकवि थे। जिन्होंने अपने रचनाओं के माध्यम से प्रेम भाईचारा , समता , और समरसता की सीख दी है।
संत कबीर के जीवन दर्शन से प्रेरणा लेकर हम सभी को स्वस्थ , समतामूलक और समरस समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। पटवा ने संत कबीर के प्रचलित दोहा सुनाया
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय,।पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय,।
कबीरदास के काम का एक और महत्वपूर्ण पहलू विभिन्न समुदायों के बीच एकता, सहिष्णुता और सद्भाव का जश्न मनाना है। वह मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए अथक वकालत करते थे, और उनका मानना था कि हर किसी को सम्मान और स्वतंत्रता का जीवन जीने का अधिकार है।
उनके काम ने एक अधिक समावेशी और सामंजस्यपूर्ण समाज को बढ़ावा देने में मदद की, जहाँ लोगों को उनके व्यक्तिगत योगदान के लिए सम्मान और महत्व दिया जाता था।संत कबीर वास्तव में एक असाधारण व्यक्ति थे जिनकी विरासत आने वाली सदियों तक लोगों को प्रेरित और प्रोत्साहित करती रहेगी। उनका कार्य आध्यात्मिकता और मानवता की सेवा की शक्ति का प्रमाण है।
अद्भुत समाज सुधारक, महान संत कबीरदास का जीवन मानवीय मूल्यों के विकास और ‘रूढ़ि-मुक्त समाज’ की स्थापना की प्रेरणा प्रदान करता है।
लोक मर्म को स्पर्श करती एवं सामाजिक समरसता की राह दिखाती उनके ‘ शब्द’ व उनके विचार’ सदैव प्रासंगिक रहेंगी।
ऐसे पूज्य मनीषी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि!
इस अवसर पर गोपाल प्रसाद पटवा अध्यक्ष बुनकर संघ दुखन पटवा जिला संयोजक बुनकर प्रकोष्ठ भाजपा , प्रमोद कुमार चौधरी भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा , भोजपुरिया बाबा , संतोष कुमार , पिंटू कुमार , चिंतामणि मिस्त्री , मोनू पाल सहित बड़ी संख्या में बुनकर और कामगार शामिल रहे हैं।