एन डी ए ने तत्काल ध्यान नही दिया त आगामी विधान सभा चुनाव में झारखंड में होगा असर
आजसू सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी को मंत्रीमंडल में शामिल नही किए जाने पर झामुमो-कांग्रेस के नेता भी मर्माहत
देवेंन्द्र शर्मा रांची | केन्द्र में एन डी ए सरकार के गठन उपरांत मंत्रीमंडल में आजसू के एकमात्र सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी को शामिल नही किये जाने पर आजसू समेत विपक्ष के कुछ शीर्ष नेता की पीड़ा उभरकर सामने आ गई है।सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी ने पत्रकारों से वार्ता के क्रम में अपनी पीड़ा को सामने रखा है।आजसू सांसद श्री चौधरी दूसरी बार गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए है।इस बिषय पर आजसू के सुप्रियो सुदेश महतो बिल्कुल प्रतिक्रिया न देकर चुप्पी साध ली है।
मालूम हो की सुदेश महतो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खास माने जाते रहे है ।एन डी ए के किसी भी बिषय वस्तु के निर्णय में सुदेश महतो की राय हर बार ली जाती रही है।इस बार लोकसभा चुनाव मे भी आजसू सुप्रियो सुदेश महतो ने एन डी ए गठबंधन के चुनाव प्रचार में अपनी पूरी शक्ति झलक दिया था ।
आजसू के कारण भाजपा को उनकी जीत सम्भव हो पाई।मंत्रीमंडल गठन प्रक्रिया मे सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी के नाम को शामिल करने की चर्चा जोरो पर थी ।यह तय था की उन्हे केन्द्रीय मंत्रिमंडल मे हर हाल मे शामिल कर लिया जायेगा।परन्तु शपथग्रहण प्रक्रिया मे श्री चौधरी का नाम शामिल नही किया गया ।इस उपेक्षा पर श्री चौधरी बेहद नाराज नजर आ रहे है।उन्होने मिडिया को बताया की एन डी ए गठबंधन धर्म का पालन नही किया गया ।
बिहार के एक निर्वाचित सासंद को सीधे सम्मान के साथ कैबिनेट मे शामिल कर लिया गया परन्तु उन्हे उपेक्षित रखा गया ।श्री चौधरी नाराज है ।झारखंड मे अलग राज्य गठन के समय से ही आजसू एन डी ए का एक प्रमुख सहयोगी के रूप मे रहा है।आजसू के सांसद को मंत्रीमंडल मे शामिल नही किये जाने पर एन डी ए के घोर विरोधी झामुमो-कांग्रेस के शीर्ष नेता अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है।
आजसू का बिरोधी झामुमो-कांग्रेस के नेता ने अपने बयान मे कहा है की केन्द्र की एन डी ए सरकार ने यह जता दिया है की केन्द्र सरकार खासकर प्रधान मंत्री को झारखंड के विकास और यहां के भूमि पुत्र की तनिक भी चिन्ता नही है।आजसू से अधिक झामुमो-कांग्रेस नेता अपनी घड़ियाली आंसू बहा रहे है।
राज्य के नागरिक यह समझ रहे है की इस समर्थन के पीछे इन विरोधी दल के नेता की मंशा क्या है ।बहरहाल जो भी हो एन डी ए गठबंधन मे विरोध की अग्नि ज्वाला से चिंगारी फुट चुकी है जो समय रहते शान्त नही किया गया त आगामी विधान सभा चुनाव मे एन डी ए के लिए व्यवधान का कारण बन सकता है।