सीयूएसबी के समाजशास्त्र अध्ययन विभाग में प्रो.जगदीश सोलंकी का एनईपी 2020 विषय पर अतिथि व्याख्यान

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गया। दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के समाजशास्त्र अध्ययन विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया है। जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि अतिथि वक्ता के रूप में प्रोफेसर जगदीश सोलंकी (सेवानिवृत्त), पूर्व डीन ऑफ सोशल वर्क, एम एस यूनिवर्सिटी बड़ौदा, गुजरात ने व्याख्यान दिया है । व्याख्यान का आयोजन चाण्क्य भवन में सीयूएसबी के समाजशास्त्र अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम विजय कुमार शर्मा की देखरेख में किया गया। औपचारिक उद्घाटन और अतिथि के अभिनंदन के बाद प्रोफेसर एम विजय कुमार शर्मा ने अतिथि वक्ता का परिचय सभागार में उपस्थित दर्शकों से कराया। व्याख्यान में विभाग के संकाय सदस्यों क्रमशः प्रोफेसर अनिल कुमार सिंह झा, डॉ समापिका महापात्र, डॉ सनत कुमार शर्मा, डॉ जितेंद्र राम, डॉ प्रिया रंजन, डॉ आदित्य मोहंती, डॉ पारिजात प्रधान और डॉ हरेश नारायण पांडे के साथ और बड़ी संख्या में एमए, एमएसडब्ल्यू और पीएचडी कार्यक्रम के छात्र उपस्थित थे ।

प्रो.जगदीश सोलंकी ने एनईपी-2020 को शिक्षाविदों से जोड़कर अपनी बात शुरू की और कहा कि शिक्षाविद्या कभी खत्म नहीं होगी क्योंकि नालंदा विश्वविद्यालय और इसकी महिमा आज भी लोगों के मन और बातचीत में जीवंत है। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले युवाओं को ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ कौशल सीखने पर भी जोर दिया। प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि शिक्षाविद् समाज के पथ प्रदर्शक हैं और विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम 50% ज्ञान सृजन और 40% कौशल सीखने का मिश्रण हैं, जो समकालीन उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी) दुनिया की आवश्यकता है। विश्व शिक्षा प्रणाली में नया प्रतिमान काम करके सीखना है। समकालीन वैश्विक परिदृश्य में, शिक्षा मानव जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह जीवन को परस्पर निर्भरता और सह-अस्तित्व बनाने में मदद करती है।

यह मनुष्य को नागरिक भी बनाता है अन्यथा हम मवेशियों के समान हैं। हमें प्रकृति के नियम के रूप में परस्पर निर्भरता और सह-अस्तित्व को चित्रित करने में सावधान रहना होगा, लेकिन कम-निर्भरता या अति-निर्भरता नहीं होना चाहिए, जो शिक्षा हमें देती है। उन्होंने यह भी दोहराया कि वर्तमान एनईपी-2020 भारतीय शिक्षा और भारतीय समाज के विकास दोनों के लिए बहुत अच्छा मॉडल है और वर्तमान भारत सरकार ने एनईपी की शुरुआत करके बहुत अच्छा काम किया है । प्रश्नोत्तरी सत्र में प्रो. सोलंकी ने छात्रों के प्रश्नों का उत्तर दिया। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर अनिल सिंह झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ है।

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