धनबाद | भगवती दुर्गा की उपासना का महापर्व वासंतिक नवरात्र, पिंगल नामक नवसंवत्सर व विक्रम संवत 2081 मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है. नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ देवी माता की आराधना आरंभ हो जायेगी।श्रद्धालु गंगा मिट्टी या बालू में जौ डालकर उसके ऊपर विधि विधान से घट की स्थापना करेंगे. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विजया दशमी तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा होगी.शुभ मुहूर्त में होगी कलश स्थापनाआचार्य राकेश झा ने बताया कि कलश-गणेश की पूजा से चैत्र नवरात्र का अनुष्ठान आरंभ हो जायेगा. जगत जननी की कृपा व सर्वसिद्धि की कामना से उपासक फलाहार या सात्विक अन्न ग्रहण करते हुए दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय के कुल 700 श्लोकों का सविधि पाठ करेंगे. चैत्र शुक्ल नवमी बुधवार 17 अप्रैल को महानवमी और 18 को विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा.पुष्य नक्षत्र के सुयोग में 17 को महानवमीचैत्र शुक्ल नवमी 17 अप्रैल बुधवार को पुष्य नक्षत्र के सुयोग में महानवमी का पर्व मनाया जायेगा. इसी दिन श्रद्धालु देवी दुर्गा के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा कर विशिष्ट भोग अर्पण, दुर्गा पाठ का समापन, हवन, कन्या पूजन व पुष्पांजलि करेंगे. रामनवमी का व्रत, ध्वज पूजन व शोभायात्रा भी इसी दिन निकलेगी.अश्व पर होगा देवी का आगम ज्योतिर्विद डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि चैत्र नवरात्र का पहला दिन मंगलवार होने से देवी दुर्गा का आगमन अश्व यानी घोड़े पर होगा. घोड़े पर भगवती के आगमन से समाज में अस्थिरता, तनाव, राजनीतिक उथल-पुथल, चक्रवात, भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है.
कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
तिथि मुहूर्त : सुबह 5:46 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त : दोपहर 11:51 बजे से 1:26 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:26 बजे से 12:16 बजे तक
चर-लाभ-अमृत मुहूर्त : सुबह 8:42 बजे से 1:26 बजे तक