सिंदरी | बी०आई०टी० सिंदरी के असैनिक अभियंत्रण विभाग द्वारा संस्थान के प्लैटिनम जुबली महोत्सव के अंतर्गत “अनुसंधान अभ्यास एवम प्रकाशन” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन विभाग के राजेंद्र प्रसाद हॉल (C-51) में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बी०आई०टी० सिंदरी के निदेशक प्रो० (डॉ०) पंकज राय, सम्मानीय अतिथि JUT के पूर्व कुलपति एवं यांत्रिक अभियंत्रण विभागाध्यक्ष प्रो० (डॉ०) विजय कुमार पाण्डेय एवं विशेष अतिथि डीन ऐल्युमिनी अफ़ेयर्स एवं P&I विभागाध्यक्ष प्रो० (डॉ०) प्रकाश कुमार, असैनिक अभियंत्रण विभाग के सेवानिवृत्ति प्रो० (डॉ०) विक्रमा पाण्डेय रहें। इस आयोजन पर मुख्य वक्ता के रूप में (डॉ०) संजय कुमार शुक्ला, संस्थापक एवम मुख्य संपादक- इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जियोसिंथेटिक्स एंड ग्राउंड इंजीनियरिंग स्विट्जरलैंड रहे। कार्यक्रम के संयोजक असैनिक अभियंत्रण विभाग के विभागाध्यक्ष (डॉ०) जीतू कुजूर ने उपरोक्त विशेष अतिथियों एवं कार्यक्रम के समन्वयक (डॉ०) ब्रह्मदेव यादव के साथ मंच साँझा किया।
कार्यक्रम के शुरुआत में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया गया, तत्पश्चात दीप प्रज्वलित कर परंपरागत तरीके से कार्यक्रम की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई। इसके बाद संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा प्रार्थना किया गया एवं उनके द्वारा प्रस्तुत की गई कुलगीत ने सबका मन मोह लिया।तत्पश्चात बी०आई०टी ० सिंदरी के असैनिक अभियंत्रण विभाग के विभागाध्यक्ष (डॉ०) जीतू कुजूर ने उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आज के समय में अनुसंधान के महत्व के बारे में बताया।
कार्यक्रम के बढ़ते क्रम में सभा को संबोधित करते हुए समन्वयक (डॉ०)कोमल कुमारी ने आज के कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की और सभी अतिथियों एवम राज्य के विभिन्न अभियंत्रण संस्थानों से आए हुए सभी शोधकर्ताओं का इस कार्यशाला में स्वागत किया। इसके बाद, सम्मानीय अतिथि प्रो० (डॉ०) विजय कुमार पाण्डेय ने आज के मुख्य वक्ता का विस्तृत परिचय कराते हुए उनके द्वारा बताये हुए “शुक्ला के 7 मंत्रों” का ज़िक्र किया।जबकि एलुमिनी सेल के प्रमुख प्रो० (डॉ०) प्रकाश कुमार ने अनुसंधान के वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा करते हुए बताया कि शिक्षाविदों का एक मुख्य काम विद्यार्थियों में अनुसंधान के क्षेत्र में जाने के लिए दिलचस्पी उत्पन्न करना भी है। तत्पश्चात प्रो० (डॉ०) विक्रमा पाण्डेय ने आज के युवा पीढ़ी के लिए अनुसंधान के महत्त्व के बारे में बताया।
आज के कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ शुक्ला ने अपने वक्तव्य की शुरुआत अपने पुराने दिनों को याद करते हुए किया एवं अपने छात्र जीवन के दौरान इस कॉलेज में बिताए खुसनुमे पल को बताते हुए भावुक हो गए।इसके बाद उन्होंने अनुसंधान एवम नवाचार विषय पर विस्तार से चर्चा किया,और अनुसंधान के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति का महत्व बताया।कार्यक्रम के अंतिम चरणों में राज्य के विभिन्न संस्थानों से आये हुए शिक्षक संकाय एवं इंडस्ट्री से उपस्थित शोधकर्ताओं को निदेशक द्वारा प्रमाणपत्र निर्गत कराया गया। कार्यक्रम की समाप्ति में असैनिक अभियंत्रण विभाग के सहप्राध्यापक (डॉ०) ब्रह्मदेव यादव ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।कार्यक्रम में असैनिक अभियंत्रण विभाग के सभी स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी ,सहित राज्य के विभिन्न संस्थानों के सैकड़ों छात्र उपस्थित रहें।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में (डॉ०) उदय कुमार सिंह, प्रो० प्रफुल्ल कुमार शर्मा, (डॉ०) माया राजनारायण रे, (डॉ०) सुमित कुमार, (डॉ०) अभिजीत आनंद, प्रो० निपेन कुमार दास, प्रो० प्रकाश कुमार उरॉव, प्रो० इक़बाल शेख, प्रो० सरोज मीणा का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक प्रो० प्रशान्त रंजन मालवीय ने किया।