आदर्श गांव “खेजुरदा” वास्तव में कितनी आदर्श

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रति रंजन
सरायकेला प्रतिनिधि

सरायकेला / विकास की गंगा बहाकर तथा लोगों के जीवनस्तर में सुधार हेतु कई योजना के माध्यम आमूल चूल परिवर्तन करने के संकल्प के साथ सरायकेला जिला में कई आदर्श ग्राम बनाये गये। इस दौरान कई आधारभूत संरचनाओं व सुविधाओं के विकास हेतु प्रयास किया गया। लेकिन वक्त गुजरने के साथ इन आदर्श गांवों में ठीकेदारों की गुणवत्ता विहीन किये गये कार्य तथा प्रशासन द्वारा रख रखाव नहीं करने के कारण आज आदर्श गांव का सपना लोगों के लिए आज भी सपना बना है और लोग आज भी विकास की बाट ही जोह रहे है।सरायकेला जिला में आदर्श ग्राम योजना के तहत छह गांव, सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत तीन गांव तथा प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत छह गांव आदर्श गांव के रुप में बनाये गये है। जहां आदर्श गांव बनाने हेतु कई विकास की योजना तथा लोगों के जीवन स्तर सुधार की योजना चलायी गयी। लेकिन वक्त गुजरने के साथ इन आदर्श गांव की हकीकत कुछ और ही बयां करती है।सरायकेला अनुमंडल अंतर्गत खरसांवा प्रखंड के खेजुरदा गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत वर्ष 2014 में चिन्हीत किया गया। मालूम हो कि यह खेजुरदा गांव वर्तमान में खूंटी सांसद व केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री अर्जुन मुंडा का जन्मस्थली रही है।हालांकि बाद में वे जमशेदपुर में रहने लगे।


अतः इस महत्वपूर्ण गांव को आदर्श ग्राम में चिन्हीत करने के बाद यहां ग्राम संसद भवन, ग्रामीण जलापूर्ति योजना, सामूदायिक भवन, एंबुलेंस आदि कई आधारभूत संरचनाओं के विकास के कार्य हुए। लेकिन यहां किये जा रहे कार्य की ठीक से मोनिटरिंग नहीं करने के कारण व ठीकेदारों की गुणवत्ता विहिन किये गये कार्य के कारण सारे विकास के कार्य एक साल के भीतर ही दम तोड़ दिया है। इस गांव के लोगों ने पेयजल की सुविधा मात्र तीन महीने ही उठा पाया। उसके बाद कई जगहों से पाईप फट गये तथा पेयजल आपूर्ति के समान खराब हो गये। ऐसे में लोग चापाकल के भरोसे आज भी अपना प्यास बुझा रहे है। वहीं एंबुलेंश भी चंद महीनों के भीतर खराब हो गयी। यहां के लोग आज भी विकास से अछुते है तथा आदर्श गांव के रुप में मिले लालीपाप से नाराज है।यहां लाखों की लागत से बनाये गये ग्राम संसद भवन का स्थानीय लोगों को लाभ नहीं मिल सका। इस भवन में लगाये गये दरवाजे खिड़की की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि चंद महीनों में ही यह जर्जर हो गया। जबकि बिजली के कई सामान यहां से चोरी हो गये। आज यह भवन खंडहर ही बना है। इस गांव में प्रवेश के साथ ही यह भवन केवल आदर्श ग्राम के खंडहरनुमा प्रतीक के रुप में दिख रहा है। आदर्श गांव योजना के तहत दिए गए एम्बुलेंस गांव में ही खुले आसमान के नीचे मानों सड़ ही रहा है। खेजुरदा के लोग आज भी विकास की कई योजना से मरहुम है तथा उनका आदर्श गांव का सपना आज भी अधूरा है। खेजुरदा तो बानगी है कमोबेश यहीं हालात जिले के बाकी आदर्श गांव का भी है। जहां आदर्श कहने के लायक कुछ भी नहीं है। खेजुरदा गांव के लोग “”आदर्श “” शब्द को चरितार्थ कर पुनः इसे आदर्श गांव बनने की बाट जोह रहे हैं।

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